कोयला मंत्री पीयूष गोयल सरकारी उद्यम कोल इंडिया के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं। इन कंपनियों के प्रदर्शन से सरकार नाखुश है और शीर्ष अधिकारियों को इस संबंध में मंत्रालय की ओर से पत्र लिखकर निर्देश दिए जा चुके हैं। द इकॉनमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, गोयल ने कोल इंडिया तथा सहायक कंपनियों के चेयरमेन से सभी यात्रा दौरे रद्द कर बिक्री और उत्पादन के लक्ष्य हासिल करने पर ध्यान देने को कहा है। पिछले महीने ही, कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया को उत्पादन व बिक्री को बढ़ाकर कम से कम 2 टन प्रतिदिन करने के निर्देश दिए थे, जबकि कंपनी प्रतिदिन केवल 1.75 टन की बिक्री व उत्पादन ही कर सकी।
रिपोर्ट के अनुसार, कोयला मंत्रालय को लगता है कि अधिभार हटाने और स्टॉक लिक्विडेशन की प्रक्रिया बेहद धीमी है। अक्टूबर में कोल इंडिया को 10 मिलियन टन स्टॉक निबटाने को कहा गया था। मंत्रालय ने कोल इंडिया के शीर्ष अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि खराब प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, टेंडर निकालने में देरी से निवेश का उपयोग नहीं हो सका, जिससे पावर प्लांट्स में कोयला भंडार में कमी आई और लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सके।
मंत्रालय ने कंपनी के परफॉर्म न करने वालों तथा खराब परफॉर्म करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। कोल इंडिया व सहायक कंपनियों के चेयरमेन को पत्र में कोयला सचिव इंदरजीत सिंह ने लिखा है, “ऐसा प्रतीत होता है वरिष्ठ अधिकारी इन मामलों की नियमित रूप से समीक्षा नहीं कर रहे हैं, न ही जरूरत के अनुसार कदम उठा रहे हैं….इससे सभी सीएमडी, कार्यकारी निदेशकों और महाप्रबंधकों पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पैदा हो रही है।”
पिछले सप्ताह कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान गोयल ने कहा था, “आज भी हम करीब 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहे हैं और मुझे लगता है कि यह वृद्धि दर काफी नहीं है। अगर हम साथ मिलकर यह फैसला नहीं करते कि हम ऐसा नहीं होने देंगे तो बहुत जल्द, हमारी वृद्धि दर गिरकर इकाइयों में पहुंच सकती है। हमें कोयला सप्लाई को गति देने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए।”
गोयल ने आगे कहा था, ”मैं कोल इंडिया व सहायक कंपनियों से आग्रह करूंगा कि वह विचार करें कि अकेले और सामूहिक रूप से क्या कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे हम प्रतिदिन ढाई टन के निर्माण व बिक्री लक्ष्य को हासिल कर सकें।”

