विदेश में पढ़ाई करना अब सिर्फ सपना नहीं रह गया है। अब कोई भी मध्यम वर्ग परिवार का बच्चा अपने इस सपने को असानी से पूरा कर सकता है। इसका कारण है मिडिल क्लास की लगातार बढ़ती खर्च शक्ति। वहीं दूसरी ओर महामारी के दौरान भी भारतीय छात्रों का विदेशी संस्थानों में जाने का सिलसिला कम नहीं हुआ है।कॉमन ऐप की ओर जारी रिपोर्ट के अनुसार 2019-2020 के स्तर की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय छात्र आवेदकों की संख्या में 10 फीसदी जिनमें से भारतीय छात्रों के आवेदकों की संख्या में 28 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।
अब सवाल यह है कि सभी छात्र विदेश में पढ़ाई करने के अपने सपने को कैसे पूरा कर रहे हैं? खास बात तो ये है कि इस दौरान यूनिवर्सिटीज की ट्यूशन फीस, हॉस्टल, ट्रैवल करने का खर्च करीब दोगुना हो चुका है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर विदेश में पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स अपने खर्च को किस तरह से पूरा कर रहे हैं।
स्कॉलरशिप और पार्ट जॉब का ऑप्शन : opendoorsdata.org के अनुसार, कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 85 फीसदी से अधिक छात्र विदेश में अपनी शिक्षा को बूटस्ट्रैप करना चुनते हैं। कुछ छात्र अपनी शिक्षा के लिए फैमिली सेविंग और एसेट्स का प्रयोग करते हैं। बाकी स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप और पार्ट टाइम जॉब कर अपने खर्च को पूरा करने का प्रयास करते हैं।
सुरक्षित एवं कोलेटरल बेस्ड एजुकेशन लोन : कई सरकारी, प्राइवेट बैंकों के अलावा नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी कोलेटरल बेस्ड एजुकेशन लोन लोन दे रहे हैं। जिसके बदले में आपको घर या लैंड गिरवी रखनी पडती है। जिससे आपको टैक्स सेव करने में भी मदद मिलती है। इस लोन को चुकाने के लिए आपको डिग्री मिलने के 6 महीने के बाद तक का समय मिलता है। भले ही आपकी लग गई हो या नहीं और आपको यह लोन चुकाने के लिए 7 साल का समय मिलता है। ऐसे में स्टूडेंट्स को इस तरह का लोन लेने से कई तरह से विचार करना चाहिए। कई बैंक आमतौर पर ट्यूशन फीस, आवास, यात्रा और प्रयोगशाला शुल्क जैसे लगभग 85-90 फीसदी खर्च को कवर करते हैं, जबकि एनबीएफसी कॉस्ट ऑफ अटेंडेंस को 100 फीसदी तक कवर करते हैं। एनबीएफसी में लोन अमाउंट पर कोई लिमिट नहीं है। वहीं बैंक महिलाओं को ब्याज दरों में रियायत दे सकते हैं।
असुरक्षित एवं कोलेटरल फ्री एजुकेशन लोन : वहीं कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन अनसिक्योर्ड कोलेटरल फ्री एजुकेशन लोन भी प्रोवाइड करा रहे हैं। यह आपकी फाइनेंशिय कंडीशन के आधार दिया जाता है। इसमें आपका क्रेडिट स्कोर देखा जाता है। वैसे यह थोडा जोखिम भरा, बाकी ऑप्शन के मुकाबले थोडा महंगा हो सकता है। क्योंकि इस तरह के लोन में आपसे ज्यादा ब्याज वसूला जा सकता है। कई एनबीएफसी आपसे इस तरह के लोन में पढाई के दौरान ब्याज वसूल करते हैं।
इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का ऑप्शन : वहीं स्टूडेंट्स को कई इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन भी लोन प्रोवाइड करा रहे हैं। ऐसे इंस्टीट्यूशन आपके की भविष्य की लोन चुकाने की क्षमता के आधार पर ब्याज दरों की गणना करते हैं। जिससे आपको यहां बैंकों या एनबीएफसी की तुलना में कम ब्याज दर भी दे सकते हैं।
एसआईपी इंवेस्टमेंट ऑप्शन : यह ऑप्शन इस बात पर डिपेंड करता है कि आप एसआईपी कितनी जल्दी शुरू करते हैं। यह ऑप्शन उन प्रोफेशनल्स के लिए सही है जो काम करने के साथ हायर एजुकेशन की ओर जाना चाहते हैं। एसआईपी सैलरीड प्रोफेशनल्स के लिए इंवेस्टमेंट और सेविंग दोनों तरीकों से शानदार ऑप्शन है। इंवेस्टमेंट की फ्रीक्वेंसी कैसी होनी चाहिए वो स्टूडेंट्स के विवेक पर निर्भर करता है।