रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिल रही सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने का फैसला किया है। सब्सिडी का भारी बोझ कम करने का तर्क देकर उठाए गए इस कदम से वरिष्ठ नागरिकों को आरक्षित वर्ग के टिकटों की खरीद पर मिलने वाली रियायत छोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। इसके अलावा रेलवे ने ट्रेन के सफर पर होने वाला असली खर्च टिकट पर मुद्रित करना शुरू कर दिया है ताकि यात्रियों को रेलवे से मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी मिले।
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पिछले वित्त वर्ष में रेलवे को सब्सिडी पर 1,600 करोड़ की धनराशि खर्च करनी पड़ी थी। इनमें वरिष्ठ नागरिकों, खेल पुरस्कार विजेताओं और कैंसर मरीजों सहित अन्य को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि शामिल है। इस समय 55 श्रेणी के यात्री ट्रेन टिकट की खरीद पर रियायत हासिल करने की पात्रता रखते हैं।
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रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सब्सिडी पर सबसे ज्यादा खर्च वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में होता है। पिछले साल केवल इस श्रेणी के लिए रेलवे को 1,100 करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी पड़ी थी। वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी के तहत महिला यात्रियों को 50 जबकि पुरूष यात्रियों को 40 प्रतिशत रियायत दी जाती है। इस श्रेणी के तहत रियायत हासिल करने के लिए महिलाओं की उम्र कम से कम 58 जबकि पुरूषों की उम्र 60 साल होनी चाहिए।
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पहले टिकट लेते समय उम्र भरने पर यात्रियों को स्वत: रियायत मिल जाती थी लेकिन अब उनके पास रियायत छोड़ने का विकल्प है। अधिकारी ने कहा, ‘अब यात्रियों को टिकट खरीदने से पहले एक विकल्प दिया जा रहा है। अगर कोई वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत नहीं लेना चाहता है और पूरा किराया देने के लिए तैयार हैं तो ऐसा कर सकता है। इस के अनुरूप सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया है।’