तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के बीच उत्पादन में कटौती करने पर सहमति बनने से कच्चे तेल के दाम में मजबूती का रुख बन गया है। ओपेक के सदस्य देशों के बीच कच्चे तेल उत्पादन को एक स्तर पर सीमित रखने पर सहमति बनने को बाजार में आश्चर्यचकित होकर देखा जा रहा है। कच्चे तेल उत्पादक प्रमुख देशों के बीच कल छह घंटे से अधिक चली बैठक के बाद ओपेक ने आखिर तेल उत्पादन को मौजूदा 3.34 करोड़ बैरल प्रतिदिन से कम करके 3.25 से 3.30 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक रखने का फैसला किया है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने यह जानकारी दी है। ओपेक देशों की यह अनौपचारिक बैठक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की बैठक के मौके पर हुई।
कच्चे तेल के दाम में 2014 के बाद से लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। दाम में स्थिरता लाने के लिहाज से ओपेक के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है। ओपेक संगठन के इस फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम में मजबूती का रुख देखा गया। विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम छह प्रतिशत तक बढ़ गए। हालांकि, मजबूती का यह रुख धीमा रहा। अमेरिका स्थित वेस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) तेल का नवंबर डिलीवरी भाव 23 सेंट बढ़कर 47.29 डॉलर और ब्रेंट क्रुड का नवंबर डिलीवरी भाव 22 सेंट बढ़कर 48.91 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
बाजार पर निगरानी रखने वालों को ओपेक संगठन की बैठक में तेल उत्पादन में कमी पर सहमति बनने की उम्मीद नहीं थी। इससे पहले अप्रैल में इस तरह की कोशिशें नाकाम रही थी। ओपेक के प्रमुख सदस्य सउदी अरब और ईरान के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। मेलबॉर्न स्थित विश्लेषक अंगुस निकल्सन ने कहा कि तेल मूल्यों में तेजी का रुख बनने के पीछे ओपेक का फैसला मुख्य वजह रही है, लेकिन उन्होंने कहा कि फिलहाल जो समझौता हुआ है उसका ब्यौरा अभी स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसी संभावना है कि ओपेक ने इस बैठक में समझौता कुछ कमजोर रखा है और नवंबर में होने वाली बैठक में उत्पादक कटौती और ज्यादा हो सकती है।’ ओपेक की औपचारिक बैठक 30 नवंबर को होनी है। नवंबर बैठक में ओपेक और रूस की ओर से अधिक व्यापक सहमति बनने पर कच्चे तेल डब्ल्यूटीआई के दाम 50-55 डॉलर तक पहुंच सकते हैं।
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