केंद्र सरकार ने ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) को खोजे गये क्षेत्रों में उत्पादन शुरू नहीं होने को लेकर आगाह किया है। ऐसा नहीं होने पर सरकार इन क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में लेकर नीलाम करेगी।
क्या कहा गया सरकार की ओर से: पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन दोनों कंपनियों से कहा कि जो भी तेल और गैस क्षेत्र उनके पास हैं और जहां उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, उसे क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर ज्वाइंट वेंचर के जरिये पूर्ण रूप से उपयोग में लाने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने पर सरकार अपने नियंत्रण में लेकर नीलाम करेगी।
कई साल से पड़े हैं क्षेत्र: धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ऐसे समय जब देश तेल एवं गैस का शुद्ध रूप से आयातक है, कंपनियां संसाधनों को अनंतकाल तक अपने पास दबाये बैठी नहीं रह सकती। उन्होंने बताया कि भारत 1990 के दशक से निजी और अन्य कंपनियों के लिये तेल एवं गैस क्षेत्र की नीलामी कर रहा है। इसके बाद भी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपारेशन (ओएनजीसी) और ओआईएल के पास कई साल से बड़ी संख्या में ऐसे क्षेत्र पड़े हैं।
ओएनजीसी की हो रही आलोचना: देश के सभी आठ अवसादी बेसिन क्षेत्रों की खोज और उसे उत्पादन में लाने वाली ओएनजीसी और ओआईएल देश में उत्पादित कुल तेल एवं गैस का करीब तीन चौथाई उत्पादन करती है। इन दोनों कंपनियों खासकर ओएनजीसी को खोजे गये क्षेत्रों से उत्पादन नहीं कर पाने को लेकर आलोचनाओं को सामना करना पड़ा है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत को अपने महत्वकांक्षी आथिक वृद्धि एजेंडे के लिये ऊर्जा की जरूरत है। ‘‘हम आयात पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि जो भी हमारे संसाधन हैं, उसका पूरा उपयोग हो।’’
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इसीलिए हमने अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को नीतिगत दिशानिर्देश दिया है। या तो आप अपने दम पर नये भागीदारों के जरिये या नये आर्थिक मॉडल के आधार पर उत्पादन कीजिए, अन्यथा एक निश्चित समय बाद सरकार हस्तक्षेप करेगी और संसाधनों की नीलामी के लिये अपने अधिकार का उपयोग करेगी।