शेयर बाजार में शुक्रवार को चौतरफा बिकवाली से बीएसई सेंसेक्स 889 अंक लुढ़क गया जबकि एनएसई निफ्टी 17,000 अंक के नीचे आ गया। माना जा रहा है कि विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों नीतियां सख्त होने और कोरोना के नये वेरिएंट ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए निवेशक जोखिम वाली संपत्ति में निवेश से दूरी बना रहे हैं। कारोबारियों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली लगातार जारी रहने से भी घरेलू शेयर बाजारों पर दबाव पड़ा है।
बीएसई सेंसेक्स 889.40 अंक यानी 1.54 प्रतिशत लुढ़क कर 57,011.74 अंक पर बंद हुआ। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 263.20 अंक यानी 1.53 प्रतिशत का गोता लगाकर 16,985.20 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के शेयरों में 4.89 प्रतिशत की गिरावट के साथ इंडसइंड बैंक सबसे ज्यादा नुकसान में रहा। इसके अलावा कोटक बैंक, एचडीएफसी और एसबीआई में भी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स के केवल पांच शेयर इन्फोसिस, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड, सन फार्मा और टीसीएस ही लाभ में रहे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि कमजोर वैश्विक रुख का असर घरेलू सूचकांकों पर पड़ा। ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच दुनिया के प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति रुख को कड़ा किए जाने का असर बाजार पर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने संकट के दौरान के प्रोत्साहन उपायों को वापस लेने का ऐलान किया है। हालांकि कर्ज की लागत को अगले साल कम रखने यानी नीतिगत दर को निचले स्तर पर रखने की घोषणा की। वहीं बैंक ऑफ इंगलैंड ने महामारी के बाद पहली बार प्रमुख नीतिगत दर बढ़ाकर बाजार को चौंकाया है।
एफआईआई की निरंतर बिकवाली से भी निवेशक चिंतित हैं। आईटी को छोड़कर सभी क्षेत्रवार सूचकांक नुकसान में रहे। इस कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 1,774.93 अंक यानी 3.01 प्रतिशत और निफ्टी में 526.10 अंक यानी 3.0 प्रतिशत की टूट दर्ज की गई। कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी में वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष और इक्विटी शोध प्रमुख शिवानी कुरियन ने कहा कि ओमीक्रोन संक्रमण के मामले बढ़ने, मुद्रास्फीति की चिंता से भारत सहित वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ा है।