उवर्रक सब्सिडी के तौर पर करीब 800 करोड़ रुपये की बचत करने के लिए सरकार ने नयी यूरिया नीति के तहत देश में 25 गैस आधारित यूरिया संयंत्रों के लिए संशोधित उर्जा नदंड जारी किए हैं।

उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी इन नियमों के मुताबिक गैस से चलने वाले सभी यूरिया विनिर्माण संयंत्रों को तीन समूहों में बांटा गया है और हर संयंत्र के लिए विशिष्ट उर्जा मानदंड तय किए गए हैं। बीते वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी करीब 70,000 करोड़ रुपए रही थी।

गैस से चलने वाले यूरिया संयंत्र को पहले समूह के संयंत्र प्रतिटन यूरिया पर 5.5 गीगा कैलोरी (जीकेल)गैस की खपत कर सकते हैं। दूसरे समूह के संयंत्र 6.2 जी. कैल गैस की खपत कर सकते हैं और तीसरे समूह के संयंत्र 6.5 जी.कैल की खपत कर सकते हैं।

यूरिया उत्पादन की लागत में 65-70 प्रतिशत हिस्सा गैस का होता है और गैस की लागत प्रतिपूर्ति सरकार सब्सिडी के रूप में करती है।

सूत्रों ने कहा ‘‘हमने गैस से चलने वाले 25 गैस संयंत्रों के लिए नए ऊर्जा मानदंड जारी किए हैं और नए मानदंड के मुताबिक गैस की लागत के आधार पर सब्सिडी भुगतान के तौर पर 800 करोड़ रुपए की बचत होगी।’’नए मानदंड, नयी यूरिया नीति के मुताबिक जारी किए गए हैं जिन्हें इस साल मई में मंत्रिमंडल से अनुमति मिली है।