म्युचुअल फंड्स, स्टॉक और कमोडिटीज में निवेश करने के लिए अब निवेशकर्ताओं को सिर्फ KYC देने से काम नहीं चलेगा। इसके अलावा निवेशकर्ताओं को अपनी मां का नाम और परमानेंट एड्रेस का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। इयके अलावा नए नियमों के मुताबिक, निवेशकर्ता को ‘मेडन नेम’ का खुलासा करना होगा। यह सभी जानकारी 1 अगस्त से देना जरूरी हो जाएगा। पहले से निवेश कर रहे निवेशकर्ताओं के लिए अभी अंतिम तारीख तय नहीं की गई है। नवंबर 2015 में वित्त मंत्रालय के एक गजट नोटिफिकेशन पर आधारित Central KYC Records Registry की नोटिफिकेशन गुरुवार को सेबी ने जारी की। इससे सेबी के e-KYC कार्यक्रम को भी धक्का लगेगा जो आधार और मोबाइल पर आए वन टाइम पासवर्ड के जरिए व्यक्तिगत निवे शकर्ताओं को प्रमाणित करना है। ई-कॉमर्स पोर्टल्स के जरिए म्युचुअल फंड्स बेचने की शुरुआत करने में भी देरी हो सकता है। ब्रोकर्स के अनुसार Central KYC से ‘व्यापार करने में आसानी’ कैंपेन भी प्रभावित हो सकता है।
निवेशकर्ताओं, दलालों और फंड हाउसेस से और जानकारी की अपेक्षा में, अब उन्हें एक ही डाटा कई रिकॉर्ड एजेंसियों को देना होगा। जल्द ही, किसी निवेशकर्ता के लिए पैन और अाधार पहचान का सबूत नहीं रह जाएंगे। सेबी के नए नियमों के अनुसार, ‘सिर्फ पैन और आधार पर आधारित KYC अब पर्याप्त साबित नहीं होगी।’ वर्तमान में, कई सारी KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसियां हैं जो कि इंटरलिंक्ड हैं और आपस में सभी निवेशों के लिए निवेशकर्ताओं का डाटा शेयर करते हैं। इसकी वजह से न ही निवेशकर्ता, न ही ब्रोकर्स या फंड हाउसेस KYC प्रक्रिया का डुप्लीकेट नहीं कर पाते क्योंकि यह पैन पर आधारित है और साथ ही आधार का इस्तेमाल भी किया जाता है। नए सिस्टम के तहत ऐसा नहीं होगा।
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