दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही रियल एस्टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिडेट के अधिग्रहण की दौड़ में सरकारी कंपनी एनबीसीसी भी शामिल है। एनबीसीसी ने दावा किया है कि खरीदारों में कंपनी की दावेदारी ठोस है।
क्या कहा कंपनी ने: एनबीसीसी ने घर खरीदारों को आश्वस्त किया कि उसकी दावेदारी ठोस है और सरकार द्वारा समर्थित है। कंपनी ने कहा है कि आवंटन की प्रतीक्षा में बैठे ग्राहकों के लिए वह निर्धारित समय में 20,000 लंबित फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा कर लेगी। एनबीसीसी ने विश्वास जताया कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येईडा) उसे यमुना एक्सप्रेस वे को एक अलग कंपनी में ट्रांसफर किए जाने की मंजूरी दे देगा और उस कंपनी की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी बैंकों को दे दी जाएगी।
कंपनी के सीएमडी पीके गुप्ता के मुताबिक एनबीसीसी ने विलंबित दंड के लिए 100 एकड़ जमीन का प्रावधन कर 2019 की अपनी दावेदारी में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि एनबीसीसी के नाकाम होने का कोई सवाल ही नहीं उठता और उसके पास सरकार का समर्थन है।
गुप्ता ने कहा, “हमारी योजना ठोस है और सबकुछ बहुत साफ है। हम कुछ भी छिपा नहीं सकते। हमने पिछली बार की तुलना में अपनी योजना में सुधार करने की कोशिश की है। हमें सरकार से समर्थन मिला है और हम सरकार के प्रति जिम्मेदार हैं।”
एनबीसीसी के एक अन्य अधिकारी योगेश शर्मा ने कहा कि कंपनी ने जेआईएल के अधिग्रहण की दावेदारी “सरकार के पूर्ण समर्थन” के साथ पेश की है। अगले ढाई वर्षों में 70 प्रतिशत लंबित फ्लैटों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
ये कंपनी भी शामिल: दावेदारों में एनबीसीसी के अलावा सुरक्षा भी शामिल है। देनदारों की समिति (सीओसी) में 20,000 से ज्यादा घर खरीदारों के पास 56.61 प्रतिशत मताधिकार हैं और सावधि जमा खाता धारकों के पास 0.13 प्रतिशत जबकि 13 बैंकों के पास 43.36 प्रतिशत मताधिकार हैं।
बीते 24 मई को हुई बैठक में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) की सीओसी ने सुरक्षा समूह की बोली पर मतदान प्रक्रिया को टालने का फैसला किया था।