प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (5 सितंबर) को कहा कि भारत की प्राथमिकता सेवाओं के क्षेत्र में व्यापार सुगमता समझौते (टीएफए) के लिए काम करना रहेगी। इस कदम से पेशेवरों का आवागमन सुगम बनाने में मदद मिलेगी। मोदी ने पूर्वी चीन के इस शहर में जी20 शिखर बैठक के दूसरे दिन के एक सत्र में अपने हस्तक्षेप के दौरान इस मुद्दे पर अपनी बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कई ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से लिखा है, ‘ज्ञान व नवोन्मेष आधारित अर्थव्यवस्था के लिये मुक्त आवाजाही जरूरी है। भारत की प्राथमिकता सेवाओं में व्यापार मुक्त समझौते की दिशा में काम करना है।’

भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भी इसके लिए वकालत कर रहा है क्योंकि सेवा क्षेत्र में व्यापक संभावना है और देश की अर्थव्यवस्था में इसका बहुत बड़ा योगदान है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा था कि भारत इस मुद्दे पर विचार विमर्श शुरू करने के लिए डब्ल्यूटीओ में एक प्रस्ताव पेश करेगा। निर्मला ने जून में पेरिस में ओईसीडी की मंत्री परिषद की बैठक के अवसर पर डब्ल्यूटीओ सदस्यों के साथ अनौपचारिक वार्ताओं में टीएफए का मुद्दा उठाया था। निर्मला ने एक ट्वीट में समझौते पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य का स्वागत किया है।

डब्ल्यूटीओ वस्तुओं के मामले में एक समझौता पहले ही कर चुका है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया है कि वैश्विक व्यापार प्रणाली को विकासशील देशों की जरूरतों व प्राथमिकताओं के अनुसार काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं देशों से आग्रह करता हूं कि वह बाली और नैरोबी मंत्रिस्तरीय फैसलों को पूरी तरह से क्रियान्वित करें।’ सेवाओं में टीएफए का प्रस्ताव काफी उल्लेखनीय है क्योंकि डब्ल्यूटीओ में करीब एक दर्जन देश पहले ही व्यापार और सेवाओं के समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। भारत इसका हिस्सा नहीं है।