बीजेपी शासित राज्य गुजरात ने केंद्र सरकार की पीएम फसल बीमा योजना को सूबे में बंद कर दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस स्कीम के प्रीमियम पर राज्य सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा था। इसके साथ ही सूबे के सीएम विजय रूपाणी ने सोमवार को इसके विकल्प के तौर पर राज्य में एक नई स्कीम, मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना, लॉन्च की। मौजूदा खरीफ सीजन के लिए भी इस स्कीम के तहत ही प्रदेश के सभी किसानों को फसल बीमा की सुविधा दी जाएगी।

सीएम विजय रूपाणी ने योजना को बंद करने की जानकारी देते हुए कहा, ‘प्रीमियम की ज्यादा लागत के चलते हमने यह फैसला लिया है। टेंडर के मुताबिक राज्य सरकार को 4,500 करोड़ रुपये देने थे, ऐसे में हमने पीएम फसल बीमा योजना के टेंडर को कैंसल करने का फैसला लिया।’ हालांकि उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी स्कीम है और गुजरात पहले इस स्कीम का हिस्सा रहा है और आगे भी रहेगा। लेकिन मौजूदा साल में हमने इससे बाहर रहने का फैसला लिया है क्योंकि इससे राज्य सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।

पिछले साल रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी, यूनिवर्सल सोम्पो, भारती एक्सा और एग्रिकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया को राज्य के अलग-अलग हिस्सों में काम दिया गया था। हर साल नए टेंडर जारी किए जाते हैं, जिनमें इंश्योरेंस कंपनियों से किसानों को कवरेज के एवज में प्रीमियम पूछा जाता है। इस साल गुजरात सरकार की ओर से जारी टेंडर पर इंश्योरेंस कंपनियों ने 5700 करोड़ रुपये प्रीमियम की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार ने किसानों के लिए पूरी तरह से अलग स्कीम शुरू की है। इसके तहत राज्य के हर किसान को कवर किया जाएगा।

विजय रूपाणी ने कहा कि मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना इस साल खरीफ सीजन के लिए लॉन्च की गई है। इसके तहत किसानों को कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। इसके लिए किसानों को कोई रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराना होगा। इसके तहत सूखा, बढ़ा, बेमौसम बारिश समेत किसी भी प्राकृतिक संकट को कवर किया जाएगा। पीएम फसल बीमा योजना के तहत 15 से 17 लाख किसानों को कवर किया जाता है, जबकि नई स्कीम में अपने आप ही राज्य के सभी 56 लाख किसान कवर हो जाएंगे।

राज्य सरकार के मुताबिक 4 हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसी भी किसान को इस स्कीम का लाभ मिलेगा। किसी भी संकट के चलते यदि किसान की 33 से 60 फीसदी तक फसल नष्ट होती है तो सरकार प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये की राहत देगी। इसके अलावा 60 पर्सेंट से ज्यादा फसल के नुकसान पर 25,000 रुपये की मदद दी जाएगी। राहत राशि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफऱ के जरिए सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।