mutual fund SIP or government schemes: अगर आपके पास कोई फिक्स्ड नियमित इनकम नही है तो वित्तीय स्थिरता के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग बेहद जरूरी है। बात जब रिटायरमेंट की हो तो निवेशक अकसर ही दो प्राइमरी ऑप्शन के बारे में सोचते हैं: Systematic Investment Plans (SIPs) और सरकारी योजनाएं। सबसे चुनौतीपूर्ण काम तब होता है जब किसी शख्स के पास रिटायरमेंट के लिए निवेश करने को लिमिटेड पैसा होता है और वो सरकारी स्कीम व इक्विटी निवेश के ऑप्शन में भ्रमित होता है।
ऐसे में सबसे बढ़िया रणनीति होती है कि उस अवधि के दौरान रिटर्न का पता लगाना हो सकती है। मान लीजिए कि आप किसी सरकारी योजना में निवेश करना चाहते हैं, तो आप ब्याज दर देख सकते हैं कि 10-20 वर्षों में यह कितना होगा। इसी तरह, आप जिस म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं उसमें औसत रिटर्न की जांच कर सकते हैं और उसके अनुसार अपना पैसा लगा सकते हैं। आइए आपके लिए सरकारी योजनाओं और एसआईपी के बीच निर्णय लेना आसान बनाएं।
SIP के जरिए निवेश
एसआईपी निवेशकों को म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से एक निश्चित राशि का योगदान करने में सक्षम बनाता है। यह तरीका अनुशासित बचत को प्रोत्साहित करती है। Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, “SIP बाजार जोखिमों के अधीन हैं, लेकिन ऐतिहासिक रूप से 12% से 15% तक वार्षिक रिटर्न देते हैं। ये रिटर्न, हालांकि गारंटीड नहीं हैं, मुद्रास्फीति को पीछे छोड़ने और समय के साथ पर्याप्त संपत्ति बनाने की क्षमता रखते हैं।”
रिटायरमेंट के निवेश के लिए सरकारी योजनाएं
नेशनल पेंशन सिस्टम: National Pension System (NPS)
एनपीएस एक सरकारी रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है जिसमें मैनेजमेंट कॉस्ट लो होती है। यह मार्केट-लिंक्ड रिटर्न ऑफर करती है और आमतौर पर 8 से 10 प्रतिशत का रिटर्न देती है। इस सरकारी योजना में निवेश करने पर सेक्शन 80C और 80CCD (1) के तहत 2 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट मिलती है।
सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम: Senior Citizen Savings Scheme (SCSS)
SCSS खासतौर पर 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन की गई स्कीम है। यह प्रति वर्ष 8.20% की निश्चित ब्याज दर ऑफर करती है। इसकीअवधि 5 साल होती है, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। इस स्कीम में मिलने वाला ब्याज, निवेशक के इनकम स्लैब के अनुसार कर योग्य है, लेकिन योजना एक सुरक्षित और अनुमानित रिटर्न प्रदान करती है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड: Public Provident Fund (PPF)
पीपीएफ 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। वर्तमान में यह प्रति वर्ष 7.10% की ब्याज दर प्रदान करता है। पीपीएफ में योगदान सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए पात्र है, और रिटर्न पूरी तरह से कर-मुक्त है। यह योजना अपनी सुरक्षा और टैक्स बेनेफिट के लिए लोकप्रिय है।
आसानी के लिए कैलकुलेशन
आइए दोनों ऑप्शन में 20 वर्षों में ₹10,000 मासिक निवेश करने पर मिलने वाले संभावित परिणामों की तुलना करें।
SIP:
मान लीजिए एसआईपी में निवेश करने पर सालाना 10 प्रतिशत औसत रिटर्न मिलता है तो ऐसे में आपका पैसा करीब 76 लाख रुपये 20 साल बाद हो जाएगा।
NPS:
9 प्रतिशत के औसत रिटर्न के साथ 20 साल बाद करीब 66 लाख रुपये का फंड इकट्ठा होगा।
PPF:
7.10 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ 20 साल बाद इकट्ठा होने वाला कुल फंड 52 लाख रुपये होगा।
बाजार जोखिमों के बावजूद, SIP में हाई रिटर्न मिलने की संभावना बनी रहती है। दूसरी ओर, एनपीएस (NPS) और पीपीएफ (PPF) जैसी सरकारी योजनाएं स्थिर, पूर्वानुमानित रिटर्न और टैक्स बेनेफिट ऑफर करती हैं, जो उन्हें जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त बनाती हैं। एक संतुलित सेवानिवृत्ति पोर्टफोलियो (balanced retirement portfolio) व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुरूप SIP और सरकारी योजनाओं दोनों को जोड़ सकता है। तो, आप उपयुक्त वित्तीय लक्ष्यों और जरूरतों के आधार पर अपना सेवानिवृत्ति पोर्टफोलियो बना सकते हैं।