सूक्ष्म और लघु उद्योगों की एक संस्था ने क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सभी राज्यों में अलग लघु उद्योग मंत्रालय बनाए जाने की मांग की है। लघु उद्योग भारती की सालाना आम बैठक यहां रविवार (25 सितंबर) होगी जिसमें कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) से जुड़ी नीति, जीएसटी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति पर चर्चा होगी। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल ने शनिवार (24 सितंबर) को यह कहा। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम मांग करेंगे कि बड़े उद्योग अपने परिसर में जमीन का एक छोटा टुकड़ा विकसित करें जिसमें कि उनके उत्पादों के लिये नई सहायक इकाइयां लगाई जा सकें।’ उन्होंने कहा कि उनकी अन्य मांगों में लघु इकाइयों के लिए अलग से भूमि बैंक विकसित करने से जुड़ी है। यह भूमि बैंक एक उपयुक्त अवसंरचना विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किया जाना चाहिए जो कि सीधे किसी सरकारी विभाग के तहत काम करता हो।

मित्तल ने कहा कि उनकी संस्था यह भी चाहती है कि हर राज्य में एमएसएमई से जुड़े समस्याओं को सुलझाने के लिए एक अलग मंत्रालय होना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि पिछले 20 साल से काम कर रही लघु एवं मझोली इकाइयों को ‘फ्रीहोल्ड’ बना दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही एमएसएमई को स्थानीय उत्पाद जैसे कृषि उपज, खनन और अन्य उपलब्ध कच्चे माल को प्रसंस्कृत करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके साथ ही बड़े उद्योगों के लिए छोटे उद्योगों में तैयार माल की खरीद को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। देश के कुल निर्यात कारोबार में एमएसएमई क्षेत्र का हिस्सा 2014-15 में 44.7 प्रतिशत रहा है।