अमेरिका स्थित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश की रेटिंग एक पायदान बढ़ाकर बीएए2 कर दी है। रेटिंग में यह सुधार 13 वर्ष बाद हुआ है। आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों से घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होने के कारण एजेंसी ने यह सुधार किया है। इससे पहले 2004 में देश की रेटिंग सुधारकर बीएए3 की गई थी। बीएए3 रेटिंग निवेश श्रेणी का सबसे निचला दर्जा है। 2015 में उसने रेटिंग परिदृश्य को सकारात्मक से स्थिर किया था। बता दें कि यह रेटिंग किसी भी देश के निवेश माहौल का सूचक होता है। यह निवेशकों को किसी देश में निवेश से संबंधित जोखिमों की जानकारी देता है। इन जोखिमों में राजनीतिक जोखिम भी शामिल होता है। लंबे समय से भारत को रेटिंग एजेंसियां निवेश की सबसे निचली श्रेणी बीएए3 में रखती आई हैं। मूडीज ने अब इसे एक पायदान ऊपर किया है। रेटिंग में यह सुधार ऐसे समय में किया गया है, जब कुछ ही दिनों पहले विश्व बैंक की कारोबार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनस) रिपोर्ट में भारत का स्थान 30 पायदान ऊपर कर 100 कर दिया गया था।
कर्ज के दबाव पर चेतावनी भी दी
मूडीज ने अपने बयान में कहा, ‘रेटिंग में सुधार का यह निर्णय मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों में लगातार प्रगति से आने वाले समय में भारत की तेज आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होंगी। इससे सरकार के कर्ज के लिए स्थिर और बड़ा वित्तीय आधार तैयार होगा। यह मध्यम अवधि में सरकार के कर्ज के दबाव में क्रमिक कमी लाएगा।’ हालांकि रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी देते हुए कर्ज के भारी दबाव को देश के क्रेडिट प्रोफाइल पर नकारात्मक धब्बा बताया है। उसने कहा, ‘मूडीज का मानना है कि सुधारों ने कर्ज में बड़ी वृद्धि के जोखिम को कम किया है।’ एजेंसी ने आगे कहा है कि सुधारों ने सतत आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर किया है। सरकार आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों की लंबी प्रक्रिया के बीच से गुजर रही है। जहां कई सारे महत्वपूर्ण सुधार अभी शुरुआती अवस्था में हैं, मूडीज का मानना है कि जिन सुधारों को अब तक अमल में लाया जा चुका है वे कारोबार के माहौल में सुधार के सरकार के लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे। इससे उत्पादकता बढ़ेगी, विदेशी एवं घरेलू निवेश में तेजी आएगी और आखिरकार तेज और सतत आर्थिक वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।’
जीएसटी की तारीफ, जीडीपी में सुधार की संभावना
मूडीज ने आगे कहा कि जीएसटी जैसे सुधार ने राज्यों के बीच के व्यापार की रुकावटों को दूर किया है। इसके अलावा मौद्रिक नीति ढांचे में सुधार, बैंकों के एनपीए में कमी लाने को उठाए गये कदम, नोटबंदी, जैविक खातों की आधार प्रणाली, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए आवंटन और अर्थव्यवस्था में अनौपचारिकता में कमी जैसे सुधार महत्वपूर्ण हैं। उसने कहा कि सुनियोजित भूमि सुधार तथा श्रम बाजार सुधार जैसे महत्वपूर्ण कदमों का फल मिलना अभी बाकी है। यह काफी हद तक राज्यों के बीच तालमेल पर निर्भर करता है। उसने कहा, ‘इनमें से अधिकांश सुधारों का प्रभाव दिखने में समय लगेगा और जीएसटी तथा नोटबंदी जैसे कदमों ने भी निकट अवधि में वृद्धि को सुस्त किया है।’ एजेंसी ने मार्च 2018 में खत्म हो रहे चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी के सुधरकर 6.7 प्रतिशत हो जाने की संभावना व्यक्त की है। हालांकि लघु एवं मध्यम उपक्रमों तथा निर्यातकों की मदद के लिए जीएसटी में किये गये सुधार से रुकावटें कम पड़ने के कारण वास्तविक जीडीपी वृद्धि अगले वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।