पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कोटला गांव, संजय झील के पास तनाव का माहौल है। शुक्रवार दिन भर निगम ने पुलिस के साथ मिलकर यहां की करीब 26 दुकानें तोड़ दी थीं। निगम इसे अनधिकृत मान रहा है जबकि पीड़ित दुकानदारों का कहना है कि 1974 से लेकर अभी तक जो लोग बिजली के बिल भर रहे हैं, डीडीए से लड़कर अपना हक लिया है वे अवैध किस आधार पर हो सकते हैं। स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि निगम अधिकारियों की सुविधा शुल्क की मांग पूरी नहीं करने से हमें सड़क पर लाया गया। स्थानीय निगम पार्षद इस बाबत इलाके के उपायुक्त को पहले ही सूचना और शिकायत दे चुकी थीं।
शनिवार सुबह से सालों से चल रहे अपनी जीविका से महरूम लोग परिवार के साथ कोटला गांव के सामने हरिसिंह मार्केट के पास घूमते रहे। पीड़ित दुकानदारों में 55 साल की वीरवती ने कहा कि वह विधवा है। तीन बेटों के साथ रह रही वीरवती कहती है कि साल 1974 से हम यहां रह रहे हैं। हमारे पास बिजली का कनेक्शन है। डीडीए से हमने लंबी लड़ाई लड़ी है। दुकानें अवैध हैं तो घर भी अवैध हैं। फिर घर को छोड़ दिया गया और दुकानें तोड़ी नहीं गर्इं बल्कि खुन्नस में वहां रखे सामानों को तोड़ा गया।
सरिया मरोड़ दिया गया ताकि बाद में इस्तेमाल नहीं हो।मोनू सिंह, संदीप और कुलदीप का आरोप है कि निगम ने नए काम रोकने का नोटिस दिया था न कि तोड़फोड़ करने का। निगम का दस्ता अनधिकृत निर्माण तोड़ने के लिए है न कि सालों पुरानी दुकानों के सामान नष्ट करने के लिए। अतिक्रमण की आड़ में जिस तरह लोगों की रोजी-रोटी छीनी गई उसका जवाब निगम के पास नहीं है। निगम के जेई अक्सर इस इलाके का दौरा कर अपनी हितपूर्ति करते हैं।
पीड़ित दुकानदारों मदन, शौकीन और नजारू ने बताया कि सारी दुकानें अवैध थीं तो फिर सालों से निगम कहां सोया हुआ था। यहां दुकानें नहीं बल्कि गोदाम बने हुए थे, 20 से 30 लोग हर गोदाम में कार्यरत थे। एक हजार से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। हमें सड़क पर लाकर निगम क्या दिखाना चाहता है। कुछ दुकानों की मरम्मत हुई, सफेदी कराई गई, लकड़ी के गेट तोड़कर लोहे का शटर लगाया गया।
निगम ने इसे अवैध मान लिया और फिर जब जेबें नहीं भरीं तो फिर तोड़फोड़ दस्ता पहुंचा दिया गया। इस बाबत स्थानीय निगम पार्षद गुरमीत गौर ने निगम उपायुक्त अतीक अहमद को लिखे पत्र में कहा था कि 25-25 गज के उनके इलाके के घरों में ज्यादातर की हालत जर्जर है। इसकी मरम्मत जरूरी है। इलाके के जूनियर इंजीनियर (जेई) लोगों को डरा-धमका रहे हैं। इलाके के जनप्रतिनिधि होने के नाते वे जेई के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इस दिशा में ठोक कार्रवाई चाहती हैं।
जबकि इलाके के उपायुक्त अतीक अहमद के मुताबिक यहां 26 व्यावसायिक दुकानें अनधिकृत रूप से बनी हुई थीं। हमने जेसीबी मशीनें, गैस कटर, हथौड़े के साथ 21 मजदूरों, दो जेई, दो एई और एक अधिशासी अभियंता को इस काम में लगाया। स्थानीय लोगों ने विरोध किया और पत्थर फेंके जिससे हमारे जेई, एक जेसीबी चालक और एक पुलिस वाले को चोटें आई। इनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के लिए पुलिस में शिकायत दी गई है।