केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस में हिस्सेदारी बेचने की एक और कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने एक बार फिर से बोलियां आमंत्रित की है। सरकार ने पवन हंस के अधिग्रहण के लिये शुरुआती बोली सौंपने की समयसीमा को एक माह बढ़ाकर 18 फरवरी कर दिया है।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक नोटिस जारी कर कहा है कि मौजूदा कोविड- 19 की स्थिति और बोली में भाग लेने के इच्छुक निवेशकों के समक्ष आने वाली आवागमन की चुनौती को देखते हुये समय सीमा को बढ़ाकर 18 फरवरी 2021 कर दिया गया है। दीपम ने पिछले साल दिसंबर में हेलिकाप्टर सेवायें देने वाली कंपनी पवन हंस के प्रबंधन नियंत्रण को हस्तांतरित करने सहित उसकी रणनीतिक बिक्री के लिये बोलियां आमंत्रित की थी। इसके लिये बोली लगाने की अंतिम तिथि 19 जनवरी रखी गई थी।
पवन हंस लिमिटेड में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि शेष 49 प्रतिशत ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओएनजीसी) के पास है। ओएनजीसी ने सरकार के साथ अपनी पूरी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इससे पहले, दो बार इसकी बिक्री का प्रयास असफल रहा है।
कंपनी का इतिहास: पवन हंस 1985 में गठित की गई थी। उसे ओएनजीसी की तेल खोज गतिविधियों के काम में हेलिकाप्टर सेवायें देने के लिये एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के तौर पर बनाया गया। पवन हंस की 31 जुलाई 2020 की स्थिति के मुताबिक उसमें 686 कर्मचारी हैं। इनमें 363 नियमित कर्मचारी हैं जबकि 323 अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारी है। वित्त वर्ष 2019- 20 में कंपनी ने 28 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने विनिवेश की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत एलआईसी, बीपीसीएल और एयर इंडिया के बिक्री की प्रक्रिया भी चल रही है। हालांकि, एलआईसी में सरकार के हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है।