जल्‍द ही देश में खाने की तेल की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है। केंद्र सरकार ने आम लोगों को राहत देते हुए सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को आधा कर दिया है। कुछ दिन पहले सरकार की ओर पासे क्रूड पाम ऑयल की इंपोर्ट ड्यूटी को कम कर दिया था। इस फैसले के बाद देश में खाने की तेल की कीमत में असर देखने को मिल सकता है। खास बात तो यह है कि य‍ह फैसला तब लिया गया है जब देश में फेस्टिव सीजन सिर पर हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि सरकार की ओर से इंपोर्ट ड्यूटी में कितनी ड्यूटी कम की गई है।

सोया और सनफ्लावर ऑयल की ड्यूटी को किया कम
सरकार ने सनफ्लावर और सोया ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 15 फीसदी से कम कर 7.5 फीसदी कर दिया है। कुछ दिन पहले सरकार ने क्रूड पाम ऑयल पर भी इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की थी। यानी सभी टैक्‍स को मिलाकर ड्यूटी कटौती 8.25 फीसदी हो चुकी है। इसका मतलब यह हुआ कि कुल ड्यूटी 38.50 फीसदी से कम होकर 30.25 फीसदी हो चुकी है। टोटल ड्यूटी में एग्री सेस और सोशल वेलफेयर सेस भी शामिल किया जाता है।

जनता को सीधा फायदा
सरकार के इस फैसले से देश की आम जनता महंगे खाने के तेल से निजात मिलेगी। जिसका असर किचन के बजट पर दिखाई देगा। जानकारी के अनुसार इंपोर्ट ड्यूटी में ये कटौती 30 सितंबर तक ही लागू रहेगी। अभी सरकार सालाना 1.5 करोड़ टन खाने के तेल का इंपोर्ट करती है, जिस पर करीब 70,000 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जबकि खपत 2.5 करोड़ टन की है।

कहां से होता है इंपोर्ट
भारत एडिबल ऑयल का सबसे ज्‍यादा इंपोर्ट मलेशिया और इंडोनीशिया से होता है। भारत ने पिछले साल 72 लाख टन पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया से इंपोर्ट किया था। टोटल इंपोर्ट में पाम ऑयल की हिस्‍सेदारी करीब 55 फीसदी है। 34 लाख टन सोया तेल का इंपोर्ट ब्राजील और अर्जेंटीना से किया जाता है। जबकि और 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल को रूस और यूक्रेन से इंपोर्ट किया है।

पाम ऑयल मिशन का हुआ था ऐलान
बीते बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग में पाम ऑयल मिशन योजना को मंजूरी मिली थी। एडिबल ऑयल की उपलब्‍धता बढ़ाने के लिए सरकार ने 11,040 करोड़ रुपए के पाम ऑयल मिशन का ऐलान किया था। सरकार के इस मिशन से पाम ऑयल के इंपोर्ट पर निर्भरता घटेगी और किसानों की आय भी बढ़ने का रास्ता साफ होगा। साथ ही साथ ऑयल इंडस्ट्री को भी फायदा होगा।