लंबे समय से PM केयर्स फंड के खर्च को लेकर विवाद चल रहा है। विपक्ष की ओर से बार-बार फंड के हिसाब देने की बात कही जाती है। अब सरकार ने इसकी पूरी जानकारी दी है।

पीएम-केयर्स फंड ने टीकाकरण अभियान के पहले चरण में 2,200 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। यह टीकाकरण के पहले चरण की लागत का 80 प्रतिशत से अधिक है। व्यय सचिव ने यह जानकारी दी। व्यय सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अग्रिम मोर्चे और स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मियों के टीकाकरण की लागत पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वहन की जा रही है। यह पैसा पीएम केयर्स फंड और स्वास्थ्य मंत्रालय से आ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘जनवरी-मार्च के लिये टीकाकरण की लागत लगभग 2,700 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। इसका एक हिस्सा स्वास्थ्य मंत्रालय से आ रहा है और इसका कुछ हिस्सा पीएम केर्स फंड से वित्त पोषित है। यह तीन करोड़ लोगों के टीकाकरण के पहले के चरण के लिये है।’’ सचिव ने कहा कि इस दौर की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जायेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने टीकाकरण की आकस्मिक लागतों के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय को अतिरिक्त धनराशि प्रदान की थी। हमने टीकाकरण के तीन करोड़ बैच के लिये 480 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया। बाकी करीब 2,220 करोड़ रुपये पीएम-केयर्स फंड से आयेंगे।’’

दरअसल, चालू वित्त वर्ष का बजट महामारी की शुरुआत से पहले पेश किया गया था और उसमें टीकाकरण के लिये कोई अलग आवंटन नहीं है। ऐसे में जनवरी से मार्च के दौरान टीकाकरण की 82 प्रतिशत से अधिक लागत पीएम केयर्स कोष के द्वारा वहन की जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष के बजट में कोविड टीकाकरण के लिये 35 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किये हैं।

आपको बता दें कि आपात परिस्थितियों में नागरिकों की सहायाता और राहत के लिए पीएम-केयर्स फंड कोरोना वायरस महामारी के दौरान मार्च 2020 में स्थापित किया गया था। इसमें लोगों और कंपनियों ने स्वेच्छा से योगदान किया है।

हालांकि इस कोष में कितना संग्रह हुआ है, यह जानकारी साझा नहीं की गयी है, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय में इस कोष का प्रबंधन कर रहे लोगों का कहना है कि कोष से महामारी से प्रभावित क्षेत्रों की मदद की जा रही है।