केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में छह रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 26,457 करोड़ रुपये जुटाए हैं। राज्यसभा में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक द्वारा दिये गए विवरण से यह जानकारी प्राप्त हुई है।

किस कंपनी से कितने रुपये जुटाए: एक सवाल के जवाब में नाइक ने कहा कि सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में अपनी हिस्सेदारी घटाकर कुल 14,184.70 करोड़ रुपये एकत्र किये, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) में हिस्सेदारी घटाकर 8,073.29 करोड़ रुपये और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) में हिस्सेदारी की बिक्री से 2,371.19 करोड़ रुपये जुटाए।

इसी तरह मिश्र धातु निगम लिमिटेड (एमआईडीएचएएनआई) में हिस्सेदारी बिक्री से 434.14 रुपये, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (ग्रीज) से 420.52 करोड़ रुपये और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में हिस्सेदारी बिक्री से 974.15 करोड़ रुपये एकत्र किए गए।

उन्होंने कहा कि प्रबंधन नियंत्रण के ट्रांसफर के बिना अल्पसंख्यक हिस्सेदारी के विनिवेश की नीति का उपयोग रक्षा क्षेत्र सहित प्राथमिकता क्षेत्र के लिए किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि नीति का उद्देश्य भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करना और उच्च जवाबदेही स्तर को सुनिश्चित करना भी है।

विनिवेश से रोजगार के नए अवसर पैदा: इस बीच, केंद्र सरकार ने उन आशंकाओं को खारिज कर दिया है कि सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से मौजूदा कर्मचारियों की नौकरी को कोई खतरा पैदा होगा या फिर उनकी सुविधाओं में कोई कमी आएगी। इसके विपरीत सरकार ने कहा कि विनिवेश के पश्चात आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।