सरकार अनुचित व्यापार व्यवहार में लिप्त रहने और मैगी नूडल्स के संबंध में भ्रामक विज्ञापन दिखाने के लिए स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले की भारतीय इकाई से 426 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग करेगी। इस बीच केंद्र सरकार ने संसद में मंगलवार कहा कि नेस्ले इंडिया से मैगी नूडल्स को बाजार से वापस लेने के लिए कहा गया था क्योंकि उसमें सीसे की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई गई और लेबल संबंधी अपेक्षाओं का भी उल्लंघन किया गया था।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में एक प्रावधान का पहली बार इस्तेमाल करते हुए जल्द ही राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) में एक शिकायत दर्ज करेगा और कंपनी पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ कार्रवाई की भी मांग करेगा।
सूत्रों के मुताबिक मैगी विवाद पर फाइल को मंत्री की मंजूरी मिल चुकी है। उपभोक्ता मामलों का विभाग कंपनी से करीब 426 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग करेगा। मैगी नूडल्स में खाद्य सुरक्षा मानकों से जुड़ी खामियों को ‘गंभीर मुद्दा’ करार देते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में कहा था कि एनसीडीआरसी मामले की जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।
आम तौर पर उपभोक्ता ही एनसीडीआरसी में शिकायतें दर्ज कराते हैं, लेकिन इस कानून की एक धारा में सरकार के लिए भी शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था है। पहली बार सरकार उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 12-1-डी के तहत कार्रवाई करने जा रही है।
संसद में उठा मामला: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वानसुक साइम के सवाल के जवाब में राज्यसभा में कहा, ‘नेस्ले मैगी नूडल्स के नमूनों में सीसे की मात्रा 2.5 पीपीए की स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई गई और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की उपस्थिति के संबंध में लेबल की अपेक्षाओं का उल्लंघन हुआ था।’
उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी में स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसे की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले जांच परिणामों के आधार पर भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) द्वारा पांच जून को नेस्ले इंडिया लिमिटेड को उसके मैगी नूडल्स को वापस लेने संबंधी आदेश जारी किया गया।
एफएसएसएआइ ने इस साल 25 मई को अपने संदेश के जरिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी थी कि वे मैगी नूडल्स के नमूने उठाएं और अधिकृत प्रयोगशालाओं में उनका परीक्षण करवाएं।