सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कि ईपीएफ निकासी पर प्रस्तावित कर लोगों को पेंशनयाफ्ता समाज की तरफ ले जाना है,श्रमिक संगठनों का कहना है कि सेवानिवृति कोष ईपीएफओ अपनी सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पहले ही अपने अंशधारकों को पेंशन उपलब्ध करा रहा है। उल्लेखनीय है कि ईपीएफओ के करीब पांच करोड़ अंशधारक हैं।

अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव और ईपीएफओ के ट्रस्टी डीएल सचदेव ने कहा- ईपीएफ से धन की निकासी पर कर प्रस्ताव को लेकर व्यापक विरोध को देखते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली अब अपने शब्दों को बदल रहे हैं। ईपीएफओ एक ऐसी योजना चला रहा है जिसमें सभी तरह की सुविधायें पहले से ही शामिल हैं। इसमें भविष्य निधि है, पेंशन है और बीमा भी उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि सरकार पेंशन कंपनियों के उत्पादों के लिये बाजार खड़ा करना चाहती है। सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा को 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद कर दिया है जिसके बाद वह इन कंपनियों के पेंशन उत्पादों के लिए बाजार की तलाश में है।

जेटली ने कहा है कि एक अप्रैल 2016 के बाद से भविष्य निधि कोष की निकासी के समय 60 फीसद हिस्से पर अर्जित ब्याज पर कर लगाने का मकसद लोगों को सेवानिवृत्ति कोषों अथवा पेंशन कोषों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस)समर्थित भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष बीएन राय ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पहले ही एक कर्मचारी पेंशन योजना 1995 को चला रहा है जिसमें कर्मचारियों को 58 साल की आयु के बाद पेंशन दी जाती है, फिर पेंशन के लिए लोगों को प्रोत्साहन देने की कहां जरूरत है।