चीन की तकनीकी कंपनी Huawei को अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत कई देशों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी टेलिकॉम तकनीकी कंपनियों में से एक हुवावे को अमेरिका समेत कई देश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मान रहे हैं। अमेरिका ने कंपनी को बैन कर दिया है, इसके अलावा ब्रिटेन ने 5जी तकनीक से हुवावे को बाहर करने का फैसला लिया है। यही नहीं 2027 तक ब्रिटेन से पूरी तरह से बाहर करने का टारगेट तय किया गया है। आखिर इस कंपनी को लेकर हर देश इतना आशंकित क्यों है और क्या है इसका इतिहास, आइए जानते हैं…
हुवावे के फाउंडर रेन झेंगफेई के इतिहास को लेकर सबसे ज्य़ादा सवाल उठ रहे हैं, जो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में शामिल थे और कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर भी रहे हैं। रेन झेंगफेई ने 1974 में चीनी सेना जॉइन की थी। एक इंजीनियर के तौर पर सेना से जुड़ने वाले झेंगफेई उस दौर में कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे। यह वह दौर था, जब चीन में सांस्कृतिक क्रांति हो रही थी और पूरा देश खाने और कपड़ों तक के संकट से गुजर रहा था। रेन ने एक बार कहा था कि उस दौर में चारों तरफ अफरातफरी का आलम था और लोग कपड़ों और खाने तक के लिए परेशान था। उस दौर में सेना में रेन को उत्तर पूर्व चीन में एक केमिकल फैक्ट्री स्थापित करने का जिम्मा दिया गया, जिसके जरिए टेक्सटाइफ फाइबर तैयार किया जा सके। यह चीन की कम्युनिस्ट सरकार का प्लान था, जिसका यह कहना था कि हर देशवासी पर कम से कम एक सेट अच्छे कपड़ो होने ही चाहिए।
रेन बताते हैं कि सेना में सेवाएं देते हुए एक बार उनके लेफ्टिनेंट कर्नल तक बनने का मौका आया था, लेकिन उनके परिवार के बैकग्राउंड को देखते हुए खारिज कर दिया गया था। दरअसल चीन में क्रांति के दौर में उनके पिता को पूंजीवाद का समर्थक घोषित कर दिया गया था। यहां तक कि इसके चलते उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी की मेंबरशिप भी नहीं मिल पाई थी। हालांकि एक इंजीनियर के तौर पर उन्होंने केमिकल फैक्ट्री में इक्विपमेंट्स को टेस्ट करने का टूल तैयार कर दिया था। इसके बाद उन्हें एक सुपरवाइजर की मदद से कम्युनिस्ट पार्टी की मेंबरशिप मिली थी। रेन सेना से जब रिटायर हुए तो उनके पास कंस्ट्रक्शन रिसर्च इंस्टिट्यूट के डेप्युटी डायरेक्टर की जिम्मेदारी थी। रेन झेंगफेई का यह इतिहास ही आज भी दुनिया भर के देशों को आशंकित करता है।
सेना से रिटायरमेंट के बाद स्थापित की थी कंपनी: चीनी सेना से रिटायर होने के बाद रेन झेंगफेई ने 1987 में हुवावे की स्थापना की थी। उस दौर में चीन का टेलीकॉम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद कमजोर था। इसी दौर में चीन में तीन सरकारी कंपनियों ग्रेट ड्रैगन, डेटांग और ZTE की स्थापना हुई थी। इसके बाद हुवावे का एक निजी कंपनी के तौर पर रजिस्ट्रेशन हुआ था। तब हुवावे एक छोटी इक्विपमेंट वेंडर कंपनी के तौर पर काम करती थी, लेकिन फिर कंपनी ने रणनीति बदली और चीन के गांवों और कस्बों को फोकस किया। रेन ने रिसर्च और डिवेलपमेंट पर बड़ा खर्च किया और अपनी ही तकनीक तैयार की, जिससे वह बड़ी कंपनियों के मुकाबले खड़े हो सके। धीरे-धीरे कंपनी का कारोबार चीन से निकलकर दुनिया के 170 देशों तक पहुंच गया।