देश में औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) पिछले 26 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार छोटे और मध्यम उद्यमों की निरंतर कमजोरी के साथ-साथ कमजोर निर्यात और सुस्त खपत मांग की स्थिति को दर्शाता है। औद्योगिक उत्पादन, विनिर्माण और उपभोक्ता वस्तुओं में कमी के कारण अक्टूबर में 26 महीने के निचले स्तर (-) 4 प्रतिशत पर आ गया है।

Retail Inflation Rate 11 महीने के निचले स्तर पर

NSO द्वारा अलग से जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर (Retail Inflation Rate) 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई थी, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 (+/- 2) प्रतिशत लक्ष्य के ऊपरी स्तर से नीचे आ गई थी। ऐसा 11 महीनों में पहली बार खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण हुआ। निर्यात में गिरावट और कमजोर खपत मांग का औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ा, जिसके कारण इसका कुल सूचकांक मूल्य (Overall index value) 129.6 पर देखा गया। बता दें कि अक्टूबर 2020-21 की कोविड महामारी के दौरान भी यही था। 2021-22 में सूचकांक रिकॉर्ड 135 पर दर्ज किया गया था।

विनिर्माण उत्पादन (Manufacturing output), जो औद्योगिक उत्पादन 77.6 प्रतिशत है, यह पिछले वर्ष के 3.3 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले अक्टूबर में 5.6 प्रतिशत कम हो गया। कपड़े, बिजली के उपकरण, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, और चमड़े से संबंधित उत्पादों के उत्पादन में अधिकतम गिरावट देखी गई।

भारत में भी Global manufacturing slowdown का असर

EM Asia के एमडी और Barclays के प्रमुख अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “औद्योगिक उत्पादन स्पष्ट रूप से कमजोर हो रहा है। यहां तक ​​कि सेवा क्षेत्र की वृद्धि काफी अच्छी तरह से हो रही है और आर्थिक विकास को लचीला बनाए हुए है। औद्योगिक उत्पादन का डेटा इंगित करता है कि वैश्विक विनिर्माण मंदी (Global manufacturing slowdown) भारत में भी महसूस की जा रही है।

Finance Ministry ने कहा- सरकार महंगाई कम करने के कदम उठा रही

खुदरा मुद्रास्फीति के मोर्चे पर लगातार दूसरे महीने नवंबर में 5.88 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो अक्टूबर 2022 में 6.77 प्रतिशत थी। पिछले साल नवंबर में यह 4.91 प्रतिशत थी। वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से मुद्रास्फीति को आरबीआई की सहनशीलता के स्तर से नीचे लाने में मदद मिली है। ट्वीट में कहा गया, “अनाज, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों को नरम करने के लिए व्यापार से संबंधित उपयुक्त उपाय किए गए हैं। आने वाले महीनों में इन उपायों के प्रभाव को और अधिक महसूस किए जाने की उम्मीद है।”