पीएम नरेंद्र मोदी के शासन में एक दौर में तेजी से ग्रोथ हासिल करने वाले शेयर मार्केट का हनीमून पीरियड अब खत्म होता दिख रहा है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल में भारत के स्टॉक मार्केट में ब्रिटेन को छोड़कर किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। ब्रिटेन को ब्रेग्जिट के चलते गिरावट झेलनी पड़ी है। भारत के शेयर बाजार में यह गिरावट पीएम नरेंद्र मोदी के पहले टर्म के ठीक उलट है।
2014 से 2019 के दौरान मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शेयर बाजार ने करीब 50 फीसदी की उछाल हासिल की थी। अब शेयर बाजार के साथ ही अर्थव्यवस्था भी सिकुड़ती जा रही है। भारत के शेयर बाजार में बीते एक साल में 543 बिलियन डॉलर की पूंजी डूबी है, जो अमेरिकी, चीन और फ्रांस जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं समेत किसी भी देश से ज्यादा है।
यही नहीं भारत की आर्थिक ग्रोथ भी 11 साल के निचले स्तर पर है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक जून महीने तक अर्थव्यवस्था में 25 पर्सेंट तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। देश में निवेशक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं। दूसरे कार्यकाल में सरकार का फोकस नागरिकता बिल, तीन तलाक कानून जैसे मसलों पर सरकार का ध्यान रहा है। हालांकि देश में डिमांड बढ़ाने में सरकार असफल रही है। इस बीच मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया है। मूडीज ने कहा कि सरकार पर लगातार बढ़ रहे कर्ज और लंबे लॉकडाउन की वजह से देश मंदी के दौर से गुजर रहा है।
नरेंद्र मोदी ने पहली बार 2014 में सत्ता हासिल की थी और उनके पहले कार्यकाल में बैंकरप्सी लॉ समेत कई कदमों की सराहना की गई थी। हालांकि नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को सही ढंग से लागू न कर पाने के चलते आर्थिक माहौल थोड़ा खराब हुआ था। मोदी सरकार के अब तक के 6 साल के कार्यकाल में 178 अरब डॉलर की कैपिटल बढ़ी है, जबकि मनमोहन सिंह सरकार के 6 सालों में 1.06 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ था। मनमोहन सिंह सरकार के दौर में 2008 की आर्थिक मंदी शामिल थी। फिलहाल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बीएसई सेंसेक्स 33,759 के स्तर पर कारोबार रहा है, जो 1 जनवरी, 2020 को 42,273.87 के लेवल पर था।