7th Pay Commission: अखिल भारतीय रेलवे संघ (एआईआरएफ) से जुड़े रेलवे कार्यकर्ता मंगलवार (8 मई) से 72 घंटे के लिए ‘भूख हड़ताल’ पर हैं। यह भूख हड़ताल वह सातवें वेतन आयोग का फायदा नहीं देने और रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ है। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने एक बयान में कहा कि उनकी केंद्र सरकार के संगठनों, गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रेलवे मंत्री और रेल राज्य मंत्री के साथ कई बैठकें हुईं, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। अनशन 11 मई तक लगातार 72 घंटे चलेगा। इससे रेलवे सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, साथ ही ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर पड़ सकता है। एआईआरएफ ने 13 और 14 मार्च, 2018 को हुई अपनी बैठकों में देश भर में फैडरेशन से जुड़ी यूनियनों की शाखाओं में तीन दिन तक 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल करने का फैसला किया था।

बयान के मुताबिक कर्मचारियों की मांगों में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद विसंगतियों को दूर किया जाना, एनपीएस के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों के लिए पेंशन की गारंटी और पारिवारिक पेंशन का प्रावधान, निजीकरण के प्रयास को समाप्त करना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही हड़ताल न्यूनतम वेतन 18 हजार से 26 हजार करने और रनिंग स्टाफ के भत्ते में बढ़ोतरी सहित अन्य मांगों को लेकर है।

ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन(एआईआरएफ) के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र के मुताबिक इसमें ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन से संबद्ध सभी यूनियनें पूरे भारत में अपनी शाखाओं के स्तर पर भूख हड़ताल करने जा रही हैं। इसमें भारी संख्या में रेलकर्मी शिरकत करेंगे और अपनी मांगो का जल्दी हल करने की पुरजोर मांग करेंगे। मिश्र ने बताया कि यदि इसके बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आता है तो सीधे संघर्ष के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार और रेल मंत्रालय की होगी।