इंडियन आॅयल कार्पोरेशन 2022 तक अपनी रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाकर 10 करोड़ टन से अधिक करने के लिए 40,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। देश की इस सबसे बड़ी तेल कंपनी ने भारत की बढ़ती उर्च्च्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए क्षमता विस्तार की योजना बनाई है। आईओसी के निदेशक सजीव सिंह ने बताया, ‘‘ईंधन की मांग में सालाना 3.5-4 प्रतिशत की दर से वृद्धि की उम्मीद है और हमें उस जरूरत को पूरा
करने के लिए क्षमता निर्माण की जरूरत है।’’ इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के वैश्विक उर्च्च्जा परिदृश्य के अनुमान के मुताबिक भारत की ईंधन मांग सालाना चार प्रतिशत की दर से बढ़कर 2030 तक 34.8 करोड़ टन हो जाएगी जो 2015-16 में 18.4 करोड़ टन थी। बीपी का अनुमान है कि मांग 33.50 करोड़ टन हो जाएगी जबकि ईआईए ने 29.4 करोड़ टन का अनुमान जताया है जो कुल मिलाकर तीन प्रतिशत की औसत सालाना वृद्धि दिखाती है।
भारत की रिफाइनिंग क्षमता 23.2 करोड़ टन है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी अनुमानों से स्पष्ट है कि मांग बढ़ेगी और यदि हम अब निवेश करना शुरू नहीं करेंगे तो पिछड़ जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘आईओसी 2022 तक अपनी रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाकर 10.45 करोड़ टन करेगी जो फिलहाल आठ करोड़ टन सालाना है और इस पर 40,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
कंपनी गुजरात में अपनी कोयाली रिफाइनरी की क्षमता बढ़ाकर 1.8 करोड़ टन करना चाहती है जो फिलहाल 1.37 करोड़ टन है। हरियाणा के पानीपत की रिफानरी की क्षमता बढ़कर दो करोड़ टन होगी जो फिलहाल 1.5 करोड़ टन है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मथुरा और बिहार की बरौनी रिफाइनरियों प्रत्येक की रिफाइनिंग क्षमता में 30 लाख टन वृद्धि की योजना है। इससे इन रिफाइनरियों की क्षमता क्रमश: 1.10 करोड़ टन और 90 लाख टन हो जायेगी।