भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग को और गहरा करते हुए 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा उपलब्ध कराई है। इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल और उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच अपतटीय गश्ती नौकाओं के निर्माण समझौते सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुयेन शियान फुक के साथ विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत बातचीत के बाद कहा कि दोनों देशों ने अपने सामरिक संबंधों को नई गति देते हुए एक वृहद रणनीतिक भागीदारी के स्तर पर ले जाने का फैसला किया है। मोदी ने कहा, ‘हमारी सामरिक भागीदारी को बढ़ाकर एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी के स्तर तक ले जाने से हमारे भविष्य के सहयोग मार्ग और सोच के बारे में पता चलता है। इससे हमारे द्विपक्षीय सहयोग को एक नई दिशा, गति और वास्तविकता मिलेगी।’

मोदी अपनी पहली वियतनाम यात्रा पर शुक्रवार (2 सितंबर) शाम को यहां पहुंचे हैं। वियतनाम की इससे पहले इस तरह की व्यापक रणनीतिक भागीदारी समझौते केवल रूस और चीन के साथ रहे हैं। मोदी ने समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद कहा, ‘रक्षा सहयोग को और गहरा बनाने के लिए वियतनाम के लिए 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा की घोषणा करते हुए भी मुझे प्रसन्नता हो रही है।’ वियतनाम के साथ रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा और जहाजरानी क्षेत्र में सूचनाओं के आदान प्रदान सहित विभिन्न क्षेत्रों में 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन समझौतों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फुक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।

मोदी ने वियतनाम के प्रधानमंत्री फुक के साथ अपनी बातचीत को ‘व्यापक और काफी फलदायी’ बताया और कहा कि बातचीत में समग्र द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग शामिल रहा। एक दिन की यात्रा पर यहां पहुंचे मोदी ने कहा, ‘हम अपने द्विपक्षीय सहयोग का स्तर बढ़ाने और उसे मजबूत बनाने पर सहमत हुए हैं। क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण देश होने के नाते हमने साझा चिंताओं से जुड़े क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने संबंधों को आगे बढ़ाना जरूरी समझा है।’ प्रधानमंत्री ने किसी एक देश का नाम लिए बिना कहा, ‘हम उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों के मामले में सहयोग करने की आवश्यकता को भी मान्यता देते हैं।’

चीन इस समय दक्षिण चीन सागर स्थित द्वीपों पर अधिकार जताने को लेकर फिलीपीन, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ तीव्र विवाद में उलझा हुआ है। यह क्षेत्र काफी व्यस्त समुद्री मार्ग है जहां से भारत के 50 प्रतिशत व्यापार का अवागमन होता है। चीन ने पिछले दिनों भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के वियतनाम के दक्षिण चीन सागर स्थित क्षेत्र में तेल खोज के आमंत्रण पर भी एतराज किया था। इस क्षेत्र को तेल एवं गैस के मामले में काफी धनी माना जाता है। भारत और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में जलपोतों के आवागमन को हस्तक्षेप से मुक्त रखने के पक्षधर हैं। यह चीन को रास नहीं आ रहा है। चीन के दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य को हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने भी खारिज कर दिया है।

वियतनाम ने भारत के साथ वायु और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में सहयोग में काफी रुचि दिखाई है। भारत की लार्सन एण्ड टुब्रो वियतनाम के तटरक्षक बल के लिए अपतटीय उच्च गति की गश्ती नौकायें बनाएगी। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की शांति बहाली मामलों में सहयोग के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय नौसेना और वियतनाम नौसेना नौवहन क्षेत्र में सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। मोदी ने कहा कि क्षेत्र के दो प्रमुख देश होने के नाते भारत और वियतनाम ने साझा चिंता वाले क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाना जरूरी समझा है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान न्हा ट्रेंग में दूरसंचार विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर पार्क स्थापित करने के लिए 50 लाख डॉलर का अनुदान देने की भी घोषणा की।

मोदी वियतनाम की यात्रा करने वाले पिछले 15 साल में भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने क्षेत्र में बढ़ते आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने पर भी सहमति जताई है।’ इस बात पर जोर देते हुए कि द्विपक्षीय व्यावसायिक व्यापार का विस्तार करना दोनों देशों का रणनीतिक उद्देश्य है, उन्होंने कहा, ‘इसके लिए 2020 तक दोनों देशों के बीच 15 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई व्यापारिक और व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाया जाएगा।’ वियतनाम में चल रही भारतीय परियोजनाओं और निवेश के लिए बेहतर सुविधा पर जोर देने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने वियतनाम की कंपनियों को भारत में विभिन्न योजनाओं और सरकार के अग्रणी कार्यक्रमों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया है।

अंतरिक्ष सहयोग पर संरचनात्मक समझौते के बारे में मोदी ने कहा इससे वियतनाम को उसके राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों को हासिल करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ हाथ मिलाने का मौका मिलेगा। उन्होंने हनोई में भारतीय संस्कृति केन्द्र की जल्द स्थापना और खुलने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण वियतनाम में माई सन में चाम स्मारक स्थल पर संरक्षण और पुनरुत्थान कार्य जल्द शुरू कर सकता है।’ मोदी ने इस साल की शुरुआत में नालंदा महाविहार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर स्थापित करने में मदद के लिए वियतनाम नेतृत्व का धन्यवाद किया। भारत और वियतनाम ने 2017 को ‘मैत्री वर्ष’ के रूप में मनाने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।