विदेश में संदिग्ध तौर पर जमा काले धन को वापस लाने की भारत की कोशिशों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय शोध संस्था ने कहा है कि देश से 10 साल में करीब 440 अरब डॉलर अवैध धन बाहर ले जाया गया। रपट के अनुसार देश से 2012 में ही अनुमानित तौर पर 94.76 अरब डॉलर (छह लाख करोड़ रुपए) की गैरकानूनी संपत्ति बाहर गई और इस मामले में यह चीन और रूस के बाद तीसरे नंबर पर है।
ग्लोबल फिनांशल इंटेग्रिटी (जीएफआई) द्वारा जारी ताजा अनुमान के मुताबिक भारत से 2003 से 2012 की अवधि में कुल 439.59 अरब डॉलर (28 लाख करोड़ रुपए) की गैरकानूनी राशि बाहर गई। चीन से 2012 में 249.57 अरब डॉलर और रूस से 122.86 अरब डॉलर की गैरकानूनी राशि देश से बाहर गई। रपट में 2012 तक का आकलन किया गया है।
वॉशिंगटन के संस्थान ने कहा कि 2012 के दौरान सभी विकासशील और उभरते देशों से अपराध, भ्रष्टाचार और करचोरी का कुल 991.2 अरब डॉलर धन बाहर भेजा गया। इसमें भारत से भेजे गए इस प्रकार के धन का हिस्सा करीब 10 प्रतिशत रहा।
गैरकानूनी वित्तीय प्रवाह पर जीएफआई की इस रपट के मुताबिक विकासशील देशों से 2003 से 2012 के 10 साल के दौरान कुल 6,600 अरब डॉलर की गैरकानूनी राशि बाहर गई।
इसमें 439.50 अरब डॉलर का गैरकानूनी धन भी शामिल रहा जो इन 10 सालों में भारत से बाहर गया। रपट के अनुसार पिछले एक दशक में काला धन बाहर जाने के लिहाज से भारत चौथे स्थान पर है। 2003-2012 के दौरान इस तरह का सबसे अधिक 1,250 अरब डॉलर काला धन चीन से बाहर गया। इसके बाद रूस (973.86 अरब डॉलर) और मेक्सिको (514.26 अरब डॉलर) का स्थान रहा। जीएफआई ने कहा कि इन 10 सालों में हर साल भारत से औसतन 43.96 अरब डॉलर का काला धन बाहर गया।
काले धन की इस विशाल राशि के आकलन के जारी होने से अभी कुछ दिन पहले भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने वैश्विक बैंक एचएसबीसी की जिनीवा शाखा में संदिग्ध खाते रखने वाले कुछ भारतीय नामों की एक सूची के लोगों के खातों में 4,479 करोड़ रुपए जमा होने का पता लगाया है। इसके अलावा एसआईटी ने कहा है कि भारत के अंदर भी 14,958 करोड़ रुपए के गैरकानूनी धन की जांच प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग कर रहा है।
काले धन के मामले पर भारत में गंभीर राजनीतिक बहस हो रही है और पिछले आम चुनाव में इस पर जोर-शोर से चर्चा हुई। नयी सरकार ने कहा है कि वह इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है हालांकि उसके पास ऐसा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है जिससे यह पता चल सके कि देश-विदेश में भारत के लोगों ने कितना गैरकानूनी धन जमा कर रखा है।
जीएफआई के आकलन के मुताबिक 2012 में कालाधन बाहर भेजे जाने के मामलें में मेक्सिको चौथे स्थान (59.66 अरब डॉलर) और मलेशिया पांचवें स्थान (48.93 अरब डॉलर) पर है।
जीएफआई के मुख्य अर्थशास्त्री देव कार और कनिष्ठ अर्थशास्त्री जोसफ स्पैंजर्स द्वारा तैयार इस रपट में कहा गया कि 2012 में रिकॉर्ड 991.2 अरब डॉलर काला धन विभिन्न देशों से बाहर गया जबकि 2003 में यह 297.4 अरब डॉलर था।
अध्ययन में पाया गया कि 2003-2012 में गैरकानूनी धन का प्रवाह मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद 9.4 प्रति सालाना की दर से बढ़ा। हालांकि इस दौरान पश्चिम एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका (मेना) और उप-सहारा अफ्रीका से काले धन का प्रवाह सालाना औसतन क्रमश: 24.2 और 13.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
जीएफआई के अध्यक्ष रेमंड बेकर ने कहा ‘‘जैसा कि इस रपट से जाहिर होता है, विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने गैरकानूनी वित्तीय प्रवाह सबसे खतरनाक आर्थिक समस्या है।’’
उन्होंने कहा ‘‘काले धन का यह प्रवाह इन देशों में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीए) और आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) की कुल राशि से अधिक है। विश्व की गरीब और मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं से सालाना औसतन 1,000 अरब डॉलर बाहर (अवैध तरीकों से) निकल रहा है।’’
बेकर ने कहा कि हालांकि दिक्कत यह है कि काले धन का देश से बाहर जाना 9.4 प्रतिशत की गति से बढ़ रहा है जो वैश्विक वृद्धि दर के मुकाबले दो गुना है। उनके मुताबिक विश्व के नेता जब तक इस समस्या के समाधान के लिए सहमत नहीं होते सतत वैश्विक विकास प्राप्त करना लगभग असंभव है।
