कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के दौर में भारत फायदा लेने की कोशिशों में जुटा है। दरअसल भारत ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से फिलहाल सप्लाई हो रहे सस्ते कच्चे तेल की बड़े पैमाने पर खरीद कर स्टोरेज करने की योजना बनाई है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने यह जानकारी दी है। इसी महीने कच्चे तेल की कीमतों में दुनिया भर में 40 फीसदी तक की गिरावट आई है। पहले से ही चल रही आर्थिक सुस्ती और अब कोरोना वायरस के कहर के चलते थमी औद्योगिक गतिविधियों के चलते यह स्थिति पैदा हुई है।
इसके बाद पिछले दिनों रूस और सऊदी अरब के बीच तेल उत्पादन को लेकर करार न होने के बाद गिरावट के दौर में और तेजी आई है। दरअसल पिछले दिनों रूस ने ओपेक और अन्य सहयोगी देशों की मीटिंग में सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन की सीमा तय करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके बाद बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और यूएई ने कहा था कि वे बड़े पैमाने पर उत्पादन जारी रखेंगे। ऐसी स्थिति में भारत जैसे देश कम दाम के तेल को भविष्य के लिए इकट्ठा करना चाहते हैं।
एक सूत्र ने बताया कि कच्चे तेल में गिरावट का फायदा उठाने के लिए तेल मंत्रालय की ओऱ से वित्त मंत्री को पत्र लिखकर 48 से 50 अरब रुपये तक जारी करने की मांग की गई है। तेल मंत्रालय का कहना है कि वह 8 से 9 बड़े क्रूज में कच्चे तेल की खरीद करके रखेगा ताकि भविष्य के लिए सस्ती कीमतों वाले क्रूड ऑयल का इस्तेमाल किया जा सके। फिलहाल इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड और वित्त एवं तेल मंत्रालय ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है।
गौरतलब है कि मंगलवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत प्रति बैरल 31 डॉलर है। खाड़ी युद्ध के बाद यह पहला मौका है, जब कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का दौर बना हुआ है।