भारत और न्यूजीलैंड ने द्विपक्षीय कर संधि में संशोधन का बुधवार (26 अक्टूबर) को फैसला किया। इसके साथ ही व्यापार को गति देने के लिए व्यापक मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में काम करने को लेकर प्रतिबद्धता जतायी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की के साथ बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के लिये वार्ता को सफल बनाने को लेकर कदम उठाने का संकल्प जताया। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.8 अरब डॉलर रहा जो पिछले पांच साल में 42 प्रतिशत वृद्धि को बताता है। संयुक्त बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को गति देने की इच्छा जतायी।’ दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित बेहतर व्यवस्था के अनुरूप कर सहयोग प्रावधान के लिए द्विपक्षीय दोहरा कराधान समझौता में संशोधन को लेकर भी सहमति जतायी। भारत कर चोरी रोकने तथा ओईसीडी नियमों के अनुरूप उसे लाने के इरादे से देशों के साथ दोहरा कराधान बचाव समझौते का संशोधन कर रहा है।
मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के संदर्भ में बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष उच्च गुणवत्ता, व्यापक और संतुलित द्विपक्षीय एफटीए की दिशा में काम करने को प्रतिबद्ध है जो दोनों पक्षों को सार्थक वाणिज्यिक परिणाम देगा। आरसीईपी वार्ता नवंबर 2012 में नोम पेन्ह में शुरू हुई। दुनिया की अर्थव्यवस्था में 16 देशों का योगदान एक चौथाई से अधिक है और इसके 75,000 अरब डालर होने का अनुमान है। सोलह सदस्यीय ब्लाक आरसीईपी में 10 आसियान देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा छह एफटीए सहयोगी….भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड हैं। दोनों देशों ने बुधवार (26 अक्टूबर) की बैठक में भारत और न्यूजीलैंड के खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों के बीच बेहतर तालमेल तथा खाद्य उत्पादों में अधिक कुशल व्यापार के समर्थन के लिये खाद्य सुरक्षा सहयोग व्यवस्था के अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने की भी घोषणा की।