केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में उद्योगों को राहत दी गई है। इसके अलावा किसानों, मजदूरों और गरीब तबके के लोगों को बड़ी राहतें दी गई हैं। हालांकि सैलरीड क्लास की बात करें तो पीएफ में योगदान में कटौती या फिर दो महीने के लिए लोन की किस्तों में राहत के अलावा अन्य कोई राहत नहीं दी गई है। इस बीच तमाम लोग सरकार की ओर से इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से इस संदर्भ में बड़ा बयान आया है। इनकम टैक्स में राहत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इनकम टैक्स में कटौती के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीएनएन न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में आर्थिक पैकेज को लेकर कहा है कि सरकार ने इसके जरिए यह तय करने की कोशिश की है कि देश में कोई भी भूखा न रहे। जरूरत पड़ने पर इस दिशा में और भी आगे बढ़ने की बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आगे और भी पैकेज जारी किए जा सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि पैकेज को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा था कि छोटे कारोबारियों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। पैकेज में सीधे जनता के हाथ में कैश न देने के सवाल पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि कई लोगों ने इस तरह का सुझाव दिया है, लेकिन मेरा मानना है कि यह पैकेज मदद करने का सबसे अच्छा तरीका है।
बताया, पैकेज से कैसे बढ़ेगी डिमांड: पैकेज में डिमांड बढ़ाने पर फोकस न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कहना गलत है। वित्त मंत्री ने कहा कि मांग सिर्फ तब नहीं बढ़ती, जब आप पैसे लेकर कुछ खरीदने जाते हैं। मांग में इजाफा तब भी होता है, जब छोटी कंपनियां कर्मचारियों को पेमेंट करती हैं और उनकी परचेजिंग पावर में इजाफा होता है। इसके बाद वह खरीददारी करते हैं और मांग में इजाफा होता है।
कारोबार शुरू होंगे तो आम लोगों तक पहुंचेगी रकम: वित्त मंत्री ने कहा कि इस पैकेज का व्यापक असर होगा। इसमें बिजनेस पर ध्यान दिया गया है। एक बार कारोबार शुरू होंगे तो फिर लोगों को पैसे मिलने शुरू होंगे और इस तरह से लोगों के हाथों में कैश पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इसी नजरिए से सरकार ने काम किया है, इसलिए हाथ में कैश देने की बजाय कारोबार को मजबूती देने की कोशिश की है।

