केंद्र सरकार की अघोषित आय के खुलासे की योजना के तहत सबसे ज्‍यादा काले धन वाले शहरों में हैदराबाद, मुंबई और दिल्‍ली का नाम हैं। इन तीनों शहरों में 65 हजार करोड़ रुपये के कुल खुलासे की आधी से ज्‍यादा रकम है। कर विभाग के अधिकारियों से यह जानकारी मिली है। अघोषित आय के खुलासे की योजना 30 सितंबर तक थी। अधिकारियों ने बताया कि काले धन के मामले में सबसे ऊपर हैदराबाद रहा, जहां से 13 हजार करोड़ रुपये के अघोषित धन का खुलासा हुआ। मुंबई और दिल्‍ली से आठ-आठ हजार करोड़ रुपये का खुलासा हुआ है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से लगभग 19 हजार करोड़ रुपये की अघोषित आय उजागर हुई। यह कुल रकम का 30 प्रतिशत है। कर विभाग के अधिकारियों के अनुसार सबसे कम अघोषित आय का खुलासा केरल और ओडिशा से हुआ। यहां से 500 करोड़ से भी कम आय की जानकारी दी गई। उत्‍तर-पूर्व के राज्‍यों से एक हजार करोड़ रुपये की रकम का खुलासा हुआ।

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केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड ने हालांकि गोपनीयता बरकरार रखने के लिए राज्‍यवार घोषित हुई रकम का ब्‍यौरा जारी नहीं किया है। बोर्ड की ओर से शनिवार को ट्वीट कर बताया गया, ”अघोषित आय को लेकर क्षेत्रवार आधिकारिक आय की जानकारी नहीं दी गई है। विभाग कड़ी गोपनीयता बरकरार रखने को संकल्पित है।” हालांकि सोशल मीडिया पर राज्‍यवार अघोषित आय की लिस्‍ट शेयर की जा रही है। ले‍किन प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड ने इस पर ध्‍यान न देने को कहा है। केंद्र सरकार की योजना के तहत 64275 करोड़ रुपये की अघोषित कमाई की जानकारी दी गई। इससे सरकार को 30 हजार करोड़ रुपये टैक्‍स के रूप में मिलेंगे, इनमें से 15 हजार करोड़ रुपये वित्‍तीय वर्ष 2016-17 के अंत तक सरकारी खजाने में आएंगे।

आयकर विभाग ने दो साल में छापों में ₹56,378 करोड़ की अघोषित आय का पता लगाया

खबरों के अनुसार योजना में ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को इससे जोड़ने के लिए आयकर विभाग के अधिकारियों ने मुंबर्इ में कम से कम 400 से ज्‍यादा सर्वे किए। अघोषित आय घोषणा योजना एक जून से शुरू की गई थी। इसके तहत काले धन का एक बार में खुलासा करने की सुविधा दी गई थी। इस योजना के तहत आय का खुलासा करने पर 45 प्रतिशत टैक्‍स देकर सजा से बचा जा सकता था। 45 प्रतिशत टैक्‍स में 30 प्रतिशत इनकम टैक्‍स और 7.5 प्रतिशत कृषि कल्‍याण और 7.5 प्रतिशत पेनल्‍टी शामिल है।

मोदी सरकार के सामने 4 महीने में ₹65,000 करोड़ के कालेधन का खुलासा, सरकारी खजाने को मिलेंगे ₹30,000 करोड़