अकेले भारत में ही अगले 5 सालों में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान करने वाली दिग्गज टेक कंपनी गूगल की शुरुआत कभी कैलिफॉर्निया के एक गैराज से हुई थी। गैराज से निकलकर आज यह कंपनी कैलिफॉर्निया के ही माउंटेन व्यू में पहुंच गई है। गूगल के इस मुख्यालय को Googleplex भी कहा जाता है। हालांकि दुनिया की इस दिग्गज कंपनी की शुरुआत इतनी भव्य नहीं थी। यह एक तरह से संघर्ष की ही एक कहानी है। आइए जानते हैं, कैसे शुरू हुआ गूगल और फिर कैसे दुनिया भर में छा गया…

दरअसल गूगल की 1995 में स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय से शुरू हुई थी। उस दौरान गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज ग्रैजुएशन करने के लिए स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी को को चुनने पर विचार कर रहे थे और उन्हें विश्वविद्यालय दिखाने का काम सर्गे ब्रिन को सौंपा गया था। ब्रिन भी वहीं पढ़ते थे। कहा जाता है कि पहली मुलाकात में दोनों के ही मत अलग-अलग थे, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ दोनों साझीदार होते गए। यहीं पर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे से काम करते हुए दोनों ने एक सर्च इंजन बनाया। इसका नाम Backrub था।

कुछ वक्त बाद ही Backrub का नाम बदलकर गूगल कर दिया गया था। यह नाम बदलना ही काम कर गया और गूगल दुनिया में सर्च इंजन के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब रहा। गूगल को 1998 में पहली बार 1 लाख डॉलर की आर्थिक मदद मिली थी। यह मदद Sun के सहसंस्थापक एंडी बेकतोलशाइम ने दी थी और इसके बाद गूगल हॉस्टल से बाहर निकलकर कैलिफॉर्निया के एक गैराज में पहुंच गया। सैन फ्रांसिस्को से जुड़े मेनलो पार्क शहर में बने इस गैराज की मालिक सुज़न वोचेस्की थीं, जो गूगल की 16वीं कर्मचारी बनीं। फिलहाल वह यूट्यूब की सीईओ हैं।

पहली बार गूगल ने 1998 में डूडल बनाया था। दुनिया भर में फिलहाल गूगल के पेरोल पर 60,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। गूगल के इस वक्त सैकड़ों प्रोडक्ट्स हैं, जिनमें यूट्यूब, एंड्रॉयड, जीमेल से लेकर गूगल सर्च तक शामिल हैं। फिलहाल भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सुंदर पिचाई कंपनी के सीईओ हैं और हाल ही में गूगल फॉर इंडिया कैंपेन के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने भारत में ही 75000 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है।