होम लोन देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन यानी डीएचएफएल को 2018-19 की चौथी तिमाही में 2,223 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। कंपनी पर बैंकों और निवेशकों के 1 लाख करोड़ रूपये के आसपास की देनदारी है।

किसी तिमाही में यह कंपनी को हुआ आज तक का सबसे बड़ा घाटा है। बता दें कि कंपनी पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से भारी वित्तीय संकट से गुजर रही है। कर्ज के बोझ तले दबी डीएचएफएल को इससे पहले 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में 134.35 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।

डीएचएफएल ने कहा है कि कंपनी की पूंजी जुटाने की क्षमता काफी कम हो गई है और कारोबार ठप पड़ गया है। इन घटनाक्रमों ने कंपनी की आगे कारोबार जारी रखने की क्षमता पर गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है। कंपनी ने शनिवार को बताया, ”सितंबर 2018 के बाद कर्ज वितरण और कर्ज वृद्धि में सुस्ती से इस तिमाही में कंपनी की माली हालत बेहद खराब हुई है।

इस वजह से कंपनी के पूरे साल की परफॉर्मेंस पर असर पड़ा है।’ कंपनी ने कहा, ”2018-19 की चौथी तिमाही में 3,280 करोड़ रुपये की रकम का अतिरिक्त प्रावधान करना पड़ा है। इसकी वजह से कंपनी को चौथी तिमाही में 2,223 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा और पूरे वित्त वर्ष में 1,036 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। ”

सूत्रों के मुताबिक, डीएचएफएल के प्रमोटर निजी इक्विटी कंपनियों के साथ बातचीत में है और उन्हें उम्मीद है कि वह अपनी 50 प्रतिशत होल्डिंग को बेचकर एक अरब डालर (करीब 6,900 करोड़ रुपये) जुटा लेंगे। कंपनी के प्रमोटर वाधवान परिवार के पास वर्तमान में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

सूत्रों के मुताबिक, निजी इक्विटी कंपनियां लोन स्टार, एआईओएन कैपिटल और केकेआर इस रणनीतिक बिक्री के लिये कंपनी के साथ बातचीत कर रही हैं। कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट चौथी तिमाही में 372 करोड़ रुपये और पूरे साल में 2,378 करोड़ रुपये रहा। बहरहाल, डीएचएफएल ने बैंक के साथ हुये इंटर क्रेडिटर समझौते के तहत समाधान प्रक्रिया पेश करने के अग्रिम चरण में है।