Home Loan Top Up can Risk Your Property : कर्ज लेकर घर खरीदने वाले लोग कई बार घर की मरम्मत, फर्निशिंग या कोई एक्स्ट्रा काम कराने के लिए टॉप-अप होम लोन (Top-Up Home Loan) की सुविधा का इस्तेमाल करते हैं। यह लोन आसानी से मिल जाते हैं, इसलिए कई बार होम ओनर्स के काफी काम आते हैं। लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में उधार लेने वालों को सतर्क रहना चाहिए। वरना घर के लिए लिया गया लोन, उसी घर के छिन जाने की वजह भी बन सकता है।
टॉप-अप होम लोन क्या है?
टॉप-अप होम लोन एक अतिरिक्त लोन होता है, जिसे बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां उन ग्राहकों को देती हैं, जिनका पहले से ही होम लोन चल रहा होता है। यह लोन उन उधार लेने वालों को दिया जाता है, जो अपने होम लोन की EMI को लगातार 18 से 24 महीनों तक समय पर चुका रहे हैं। टॉप-अप लोन की अधिकतम राशि आमतौर पर आपके मूल होम लोन रकम और वर्तमान बकाया अमाउंट के बीच के अंतर पर आधारित होती है। टॉप-अप होम लोन की अवधि, सैद्धांतिक रूप से, आपके मौजूदा होम लोन की बची हुई अवधि तक बढ़ाई जा सकती है। हालांकि अधिकांश बैंक इसे 15 साल तक की अवधि तक सीमित रखते हैं। ये लोन आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों के भीतर जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन कुछ बैंक अब छोटी रकम वाले टॉप-अप लोन फौरन जारी करने का ऑप्शन भी देने लगे हैं।
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क्यों पॉपुलर हैं टॉप-अप होम लोन?
टॉप-अप होम लोन की लोकप्रियता का कारण यह है कि इन पर ली जाने वाली ब्याज दरें पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड लोन या गोल्ड लोन की तुलना में कम होती हैं। ये लोन आमतौर पर उसी ब्याज दर पर या फिर उससे कुछ ही अधिक दर पर दिए जाते हैं, जिस पर आपका मौजूदा होम लोन चल रहा होता है। इस वजह से उधार लेने वालों के लिए टॉप-अप लोन एक आकर्षक विकल्प बन जाता है। अगर इनकी मदद से वे ऊंची ब्याज दर वाले दूसरे कर्जों को कन्सॉलिटेड कर पा रहे हों, तो यह और भी फायदेमंद रहता है। टॉप-अप होम लोन लेने के लिए दस्तावेज भी कम ही देने पड़ते हैं, जिससे इन्हें हासिल करना काफी आसान हो जाता है।
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टॉप-अप होम लोन के साथ क्या है रिस्क?
फायदों के बावजूद, टॉप-अप होम लोन के साथ कुछ बड़े रिस्क भी जुड़े हुए हैं। इन लोन के आसानी से उपलब्ध होने की वजह से कई बार लोग अपने बजट से अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। अगर कोई इस अतिरिक्त लोन की मदद से गैर-जरूरी खर्चों या सट्टेबाजी जैसे रिस्की इनवेस्टमेंट में पैसे फंसा ले, तो रिस्क और भी ज्यादा हो सकता है। अगर किसी कर्जदार ने टॉप-अप लोन की रकम को गलत ढंग से निवेश करके गंवा दिया और फिर बैंक का लोन वक्त पर वापस नहीं कर पाया, तो उसे डिफॉल्टर माना जा सकता है और ऐसी हालत में बैंक उस प्रॉपर्टी यानी घर को अपने कब्जे में ले सकता है, जिसके नाम पर टॉप-अप होम लोन लिया गया था। इसलिए लोन लेने वालों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे इनका इस्तेमाल सही ढंग से ही करें। कायदे से तो टॉप-अप लोन का उपयोग केवल मकान से जुड़े जरूरी कामों, मसलन, घर की मरम्मत और अनिवार्य अपग्रेडेशन वगैरह के लिए ही किया जाना चाहिए, न कि स्टॉक मार्केट या अन्य जोखिम भरे निवेशों के लिए।
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इन बातों का रखें ध्यान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी ऐसे टॉप-अप लोन की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता पर चिंता जता चुका है, खासकर जब कुछ बैंकों द्वारा लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात, रिस्क वेटेज और उधार ली गई रकम के उपयोग की निगरानी से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। RBI की चेतावनी के बाद, लोन लेने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे LTV सीमा को पार न करें, जो घर की कीमत के 75 फीसदी से 90 फीसदी तक होती है। इसके अलावा, टॉप-अप लोन की अवधि को दो से चार साल तक सीमित रखना भी उचित है, भले ही इस पर ब्याज दर कम हो। लंबी अवधि चुनने से कुल ब्याज भुगतान बढ़ सकता है, जिससे लोन महंगा हो सकता है।
कुल मिलाकर समझने वाली बात ये है कि टॉप-अप होम लोन भले ही आसानी से एक्स्ट्रा लोन हासिल करने का सुविधाजनक तरीका हो, लेकिन इसका इस्तेमाल काफी समझदारी से ही किया जाना चाहिए। लोन लेने वालों को अपने बजट पर कायम रहना चाहिए और इस लोन का इस्तेमाल गैर-जरूरी खर्चों या सट्टेबाजी पर आधारित निवेश के लिए नहीं करना चाहिए। सबसे जरूरी बात ये है कि किसी भी हालत में जरूरत से ज्यादा उधार न लें, वरना लोन चुकाने के चक्कर में लोन लेने वालों का घर भी खतरे में पड़ सकता है।