गुजरात की दवा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक के प्रोमोटर संदेसरा बंधुओं ने बैंक धोखाधड़ी व लोन घोटाले में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भी पीछे छोड़ दिया है। नीरव मोदी पर 13000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का आरोप है। वहीं, संदेसरा बंधुओं के खिलाफ बैंकों से लोन धोखाधड़ी के मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में 14500 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आ रही है।
मामले की जांच कर रहे ईडी के सूत्रों ने बताया कि स्टर्लिंग बायोटेक के प्रोमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ति ने कई बैंकों से लोन लेने कर धोखाधड़ी की। इस संबंध में सीबीआई ने साल 2017 में 5383 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। सीबीआई के केस के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया था।
ईडी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि संदेसरा की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक ने भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से 5000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। इन लोगों ने कर्ज लेकर इस राशि को दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया। संदेसरा बंधुओं की तरफ से इस काम के लिए फर्जी कंपनियों का प्रयोग किया गया। ईडी के अनुसार संदेसरा बंधुओं को आंध्रा बैंक के नेतृत्व में पांच बैंकों के कंसोर्टियम ने लोन दिया था।
ईडी ने जब्त की 9000 करोड़ रुपये की संपत्तिः इस मामले में ईडी ने गुजरात की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक की संपत्तियों को जब्त करने का प्रोविजनल ऑर्डर जारी किया था। इसके बाद से समूह की देश-विदेश में करीब 9778 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया। संदेसरा बंधुओं की जो संपत्तिया जब्त की गई हैं उसमें नाइजीरिया स्थित तेल क्षेत्र, चार समुद्री जहाज तुलजा भवानी, वरिंदा, भव्या और ब्रह्मनी शामिल हैं।
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अभी कुछ और परिसंपत्तियों को जब्त किया जा सकता है। आरोप है कि संदेसरा बंधुओं ने आंध्र बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम से 5000 करोड़ रुपये का लोन लिया था। बाद में यह लोन नहीं चुकाया गया। इसके बाद यह राशि गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में परिवर्तित हो गई।
