बीती एक जुलाई से बाजार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में हैं। सरकार चुस्त है लेकिन व्यापारी सुस्त। दरअसल व्यापारियों के कानून के कड़े प्रावधान ने उन्हें सकते में डाल रखा है। उन्हें इस बात का मलाल है कि मानवीय भूल या उनके कर्मचारी की नासमझी से आंकड़े की गड़बड़ी उन्हें जेल पहुंचा सकती है। दरअसल जीएसटी कानून की धारा 132 और धारा 73 (1) ने व्यापारियों की नींद उड़ा दी है। ये धाराएं बताती हैं कि जीएसटी कानून के किस उल्लंघन से उन्हें क्या सजा भुगतनी पड़ सकती है। धारा 132 में कई उपबंध हैं। कानून में मामूली अवज्ञा में व्यापारी को 5000 रुपए तक जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा कर चोरी में जुर्माना 10 हजार रुपए से शुरू है। विशेष अपराध के लिए जीएसटी में जुर्माना बढ़ाने और जुर्माने के साथ पांच साल तक की जेल का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कुछ अपराधों, मसलन पांच करोड़ रुपए से ऊपर की कर चोरी के मामलों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। यह गैरजमानती होगा। मतलब आरोपी गिरफ्तारी के बाद सीधे पहले जेल जाएंगे।
कानूनविदों के मुताबिक, जीएसटी में 21 तरह के उल्लंघन पर सजा या जुर्माने का प्रावधान है। जिनमें गलत रसीद (बिक्री का लेखाजोखा) देना, समान को बिना बेचे ही बिक्री दिखा देना, कर्मचारियों का टीसीएस न काटना, टीडीएस काटकर उन्हें न जमा करना, वित्तीय सूचनाओं वाले रजिस्टर में गड़बड़ी करना, व्यापार को पंजीकृत करते समय गलत सूचना देना, टर्नओवर को कमतर बताना या कर सीमा को लांघना, लेखा जोखे को सही नहीं रखना, दूसरे के टिन नंबर पर व्यवसायी करना, माल रखने की सही जानकारी न देना, साक्ष्य मिटाना आदि शामिल हैं। कानून में साफ कहा गया है कि जीएसटी कानून के किसी भी नियम का उल्लंघन वित्तीय अपराध माना जाएगा। व्यापारियों को निर्देश है कि वे न केवल जीएसटी की ओर से तय दरें वे लागू करें बल्कि सामान बेचतें समय उन दरों पर लिए गए धन को सरकार के पास यथाशीघ्र जमा भी कराएं। अगर तय समय के भीतर ऐसा नहीं करते तो कानूनन वे दोषी हैं और फिर कानून अपना काम करेगा। सीए अभिषेक राजा ने कहा जीएसटी लाने का एक उद्देश्य कच्चे व्यापार को खत्म करना भी है। इसे लेकर ज्यादातर व्यापारी और खासकर छोटे और मंझोले व्यापारियों में इसे लेकर चिंता व्याप्त है। जीएसटी कर चोरी के खिलाफ सख्त है। इस कानून की धारा 73 (1) के मुताबिक 50 लाख तक की कर चोरी में दोषी को एक साल और जुर्माना, 50 लाख से ढाई करोड़ तक कीकर चोरी में दोषी को तीन साल तक जेल और जुर्माना, और इससे ऊपर कर चोरी के दोषी व्यापारियों को पांच साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।
