जीएसटी क्रियान्वयन के लिए तेजी से उठाए जा रहे कदमों के बीच जहां जीवन बीमा कंपनियों ने प्रीमियम आय पर नई कर व्यवस्था से छूट की मांग की है वहीं साधारण बीमा कंपनियों ने अपने उत्पादों के लिए अलग-अलग दरों की मांग की है। जीवन बीमा कंपनियों का मानना है कि 2012 में उद्योग के सेवा कर के दायरे में आने के बाद से उनकी प्रीमियम आय स्थिर है। कंपनियां इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की तैयारी में हैं। चूंकि जीवन बीमा कंपनियां सेवा कर का भार ग्राहकों को हस्तांतरित कर रही हैं, इसलिए इससे उनकी प्रीमियम आय वृद्धि पर असर पड़ा है जो काफी समय से स्थिर है। मौजूदा सेवा कर की दर 14.5 फीसद और स्वच्छ भारत उपकरण 0.5 फीसद है। जीवन बीमा परिषद की 16 सितंबर को सालाना आम बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया। राष्ट्रीय राजधानी में जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को संपन्न होने के साथ मांग सामने आई है। बैठक में जीएसटी की अधिकतम और न्यूनतम दर को अंतिम रूप देने के लिए 17-19 अक्तूबर को बैठक करने का फैसला किया गया।

परिषद के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि जीवन बीमा परिषद 24 बीमा कंपनियों का शीर्ष निकाय है। परिषद इस संबंध में जल्द ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखेगी क्योंकि पूर्व में वित्त मंत्रालय के समक्ष रखी गई बातों का कोई फायदा नहीं हुआ। जीवन बीमा परिषद के सचिव वी मणिकाम ने कहा कि प्रीमियम आय पर सेवा कर लगाए जाने के बाद से जीवन बीमा कंपनियों के नए कारोबार का प्रीमियम 2012 से 1250 अरब रुपए के आसपास बना हुआ है। यह स्थिति इस तथ्य के बाद है कि लोगों की आय क्षमता निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हम सेवा कर का भार ग्राहकों पर हस्तांतरित करते हैं इसलिए वे बीमा में निवेश को आकर्षक नहीं मानते। इस बीच, साधारण बीमा कंपनियां जीएसटी परिषद के समक्ष पहले अपनी सिफारिशें रख चुकी हैं। ये कंपनियां अपने उत्पादों के लिए सेवा कर की अलग दर की मांग कर रही हैं। देश में सार्वजनिक क्षेत्र की चार, निजी क्षेत्र की 17 साधारण बीमा कंपनियां हैं। इनमें से अधिकतर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी सरकारी योजनाओं में भाग ले रही हैं।

होटल उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

होटल और अतिथि सत्कार उद्योग पर पांच फीसद की दर से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने की एक औद्योगिक संगठन की मांग के बीच केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग के एक आला अधिकारी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि यह नई कर प्रणाली इस उद्योग के लिए काफी बेहतर साबित होगी। केंद्रीय पर्यटन सचिव विनोद जुत्शी ने फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (एफएचआरएआइ) के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में यहां शनिवार (24 सितंबर) रात कहा, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार जीएसटी का जो भी स्तर या ढांचा तय करेगी, वह आपके (होटल और अतिथि सत्कार उद्योग) लिए निश्चित तौर पर काफी बेहतर साबित होगा।’ एफएचआरएआइ के अध्यक्ष भरत एच. मलकानी ने हाल ही में मांग की थी कि होटल और अतिथि सत्कार उद्योग पर पांच फीसद की दर से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाया जाना चाहिए, क्योंकि विलासिता कर और सेवा कर जैसे मौजूदा करों के भारी बोझ से इस उद्योग की हालत पतली है।

केंद्रीय पर्यटन सचिव ने समारोह में जोर देकर कहा कि भारत में विदेशी सैलानियों की तादाद बढ़ाने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के मुल्कों के साथ चीन और रूस पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 (जनवरी-दिसंबर)तक भारत में विदेशी सैलानियों की सालाना तादाद एक करोड़ के ऊंचे स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। एफएचआरएआइ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में मध्यप्रदेश के पर्यटन मंत्री सुरेंद्र पटवा भी शामिल हुए। पटवा ने निवेशकों के लिए लाल कालीन बिछाते हुए कहा कि सूबे में पर्यटन उद्योग के विस्तार के चमकदार अवसर और हरसंभव सरकारी सुविधाएं मौजूद हैं और होटल व अतिथि सत्कार उद्योग के नुमाइंदों का इनका पूरा लाभ लेना चाहिए।