लोग अभी प्याज के दामों पर हुए हंगामे और उसके असर से संभल ही नहीं पाए थे कि बाजार में मौजूदा सब्जियों की कीमतें आसमान छूने लगीं । अब खाने की थाली में सब्जियों का गणित गड़बड़ाने लगा है। लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें है कि वे कौन सी सब्जी खरीदें और क्या खाएं। हरी सब्जियों की महंगाई अपना पिछला रेकार्ड तोड़ने की तैयारी में है। बीते एक पखवाड़े से सब्जियों के दामों में लगभग तीन गुने तक बढ़ोतरी हुई है। समस्या यह है कि दामों में यह इजाफा अचानक देखने को मिला है। इसका फायदा उठा कर राजधानी के गली कूचों में सब्जियों के खुदरा दुकानदार भी मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। ऐसे में बेतहाशा बढ़ी कीमतों पर नियंत्रण होने तक लोग हरी सब्जियों की खरीदारी में किफायद बरत रहे हैं।

कीमत पर बेसुध सरकार
राजधानी में सब्जियों की कीमतों पर राज्य सरकार बेसुध है। राज्य सरकार के पास इस प्रकार से बढ़ी कीमतों पर नियंत्रण के लिए कोई नीति नहीं है। इसका फायदा उठाकर सब्जी विक्रेता खरीदारों से औने-पौने दाम वसूल रहे हैं। अब टमाटर की कीमतों को देखें, तो लगातार बढ़ रहे दाम हैरत में डालने वाले हैं। खुदरा दुकानों पर टमाटर 50 रुपए से लेकर 80 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। अभी कुछ दिनों पहले यह कीमत 20 से 25 रुपए के आस-पास थी। लेकिन इसकी कीमत में बढ़ोतरी की वजह कोई बताने को तैयार नहीं।
राजधानी में सब्जियों की आपूर्ति मध्यप्रदेश, हिमाचल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आस-पास के खेतों से होती है। किसी राज्य में ज्यादा बरसात और किसी में सूखे के हालात से हरी फसलों का काफी नुकसान हुआ है। इसका असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ा है।