सरकार ने जुलाई 2017 से सितंबर 2018 के लिये सारांश और अंतिम बिक्री रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली जीएसटी पंजीकृत कंपनियों को विलम्ब शुल्क से छूट दी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि हालांकि इन कंपनियों को 31 मार्च 2019 तक 15 महीने की अवधि के लिये अपना रिटर्न भरने का समय दिया गया है। दरअसल जीएसटी परिषद ने 22 दिसंबर को हुई बैठक में जुलाई 2017 और सितंबर 2018 के बीच जीएसटीआर-3बी, जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-4 को नहीं भरने तथा कर भुगतान नहीं करने के कारण लगने वाले विलम्ब शुल्क में छूट देने का निर्णय किया था। हालाँकि जीएसटीआर-3बी बिक्री रिटर्न का सारांश है जबकि जीएसटीआर-1 अंतिम बिक्री रिटर्न है। वहीं जीएसटीआर-4 वे कंपनियां भरती हैं जिन्होंने ‘कंपोजीशन’ योजना का विकल्प चुना है। इसके तहत उन्हें तिमाही आधार पर रिटर्न भरने होते हैं।

देरी से रिटर्न भरने के लिये केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) के मामले में विलंब शुल्क 25 रुपये प्रति दिन है। हालांकि जिन कंपनियों को रिटर्न फाइल करनी है लेकिन उन पर कर ‘शून्य’ बनता है, उन्हें सीजीएसटी कानून और एसजीएसटी कानून के तहत 10-10 रुपये जुर्माने के रूप में देने होंगे। सीबीआईसी ने कहा कि सीजीएसटी कानून की धारा-47 के तहत लगने वाला विलंब शुल्क उन पंजीकृत कंपनियों को नहीं देना होगा जिन्होंने जुलाई 2017 और सितंबर 2017 के लिये जीएसटी-3बी और जीएसटीआर-1 समय पर नहीं भरे।

उनके लिए रिटर्न की भरने की सीमा में बढ़ोतरी की गयी हैं। अब उन्हें यह रिटर्न 22 दिसंबर 2018 से 31 मार्च 2019 तक भरने होंगे। बता दें कि जुलाई 2017 से सितंबर 2018 के दौरान जीएसटीआर-4 भरने वाली कंपनियों को भी समय पर रिटर्न जमा नहीं करने को लेकर जुर्माना नहीं देना होगा। लेकिन उनके लिए यह रिटर्न भरने की समय सीमा 22 दिसंबर 2018 से 31 मार्च 2019 तक कर दी गई है।