राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र (एनएससी) और लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) समेत अन्य छोटी बचत पर सरकार ने शुक्रवार को जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए ब्याज दर 0.1 प्रतिशत कम कर दी। इससे इन स्कीम में निवेश करने वाले लोगों को अब पहले की तुलना में कम रिटर्न मिलेगा। बैंकिग क्षेत्र में ब्याज दरों में आ रही कमी को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक इस साल तीन बार में अपनी नीतिगत दरों में कुल मिला कर 0.75 कटौती कर चुका है।
बचत खाता जमा पर ब्याज दर को छोड़कर सरकार ने अन्य सभी योजनाओं पर ब्याज दर में 0.1 प्रतिशत की कमी की है। बचत जमा खाते पर ब्याज दर चार प्रतिशत वार्षिक ही बनी रहेगी। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के लिए संशोधित ब्याज दरों की अधिसूचना जारी कर दी है।
‘सरकार के निर्णय के आधार पर लघु बचत योजनाओं के लिए तिमाही आधार पर ब्याज दरें अधिसूचित की जाती है। इस कटौती के बाद अब पीपीएफ एवं एनएससी पर वार्षिक ब्याज दर 7.9 प्रतिशत होगी जो अभी आठ प्रतिशत है। वहीं 113 महीने की मैच्योरिटी वाले किसान विकास पत्र (केवीपी) पर 7.6 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा।
अभी यह 112 महीने की मैच्योरिटी पर 7.7 प्रतिशत है। सुकन्या समृद्धि खाते पर अब 8.4 प्रतिशत ब्याज मिलेगा जो फिलहाल 8.5 प्रतिशत है। एक से तीन वर्ष की अवधि वाले सावधि जमा पर अब 6.9 प्रतिशत और पांच वर्ष की अवधि पर 7.7 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा।आर्वती जमा के लिए यह ब्याज 7.3 प्रतिशत के बजाय 7.2 प्रतिशत होगा। पांच साल की अवधि वाली वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर अब 8.7 प्रतिशत की बजाय 8.6 प्रतिशत होगी।
दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती से सस्ते कर्ज की राह आसान हो सकेगी। इससे पहले रिजर्व बैंक की तरफ से रेपे रेट में कटौती के बावजदू ब्याज दरों में कमी नहीं आ पार रही थी। इसका कारण लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर का अधिक होना था।
इस वजह से बैंकों की तरफ से अपने यहां जमा राशि पर ब्याज दर घटाने को लेकर हिचक थी। इस वजह फंड की लागत भी बढ़ रही थी। सस्ते कर्ज की राह में यह बड़ी बाधा थी। दूसरी तरफ उद्योग जगत भी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती की मांग कर रहा था।
(भाषा से इनपुट के साथ)
