केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों में कार्यरत 96 कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। ये कर्मचारी कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल रहे हैं। इनमें से 6 स्वीपर्स सहित 85 कर्मचारी इंडियन ओवरसीज बैंक में कार्यरत हैं। जिन 42 मामलों में अभियोजन की मंजूरी का इंतजार है, उनमें से 15 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से संबंधित हैं। आयोग की मासिक रिपोर्ट के अनुसार सीवीसी ने इन मामलों में 96 बैंककर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। इनमें से 7 मामले इंडियन ओवरसीज बैंक, दो बैंक आफ बड़ौदा और एक-एक ओरियंटल बैंक आफ कामर्स, कारपोरेशन बैंक, स्टेट बैंक आफ पटियाला, एक्जिम बैंक, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया तथा बैंक आफ बड़ौदा शामिल हैं।

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जो कर्मचारी भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं उनमें मुख्य प्रबंधक, महाप्रबंधक, सहायक महाप्रबंधक, विशेष सहायक, लिपिक और 11 मैसेंजर शामिल हैं। इन कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति का इंतजार चार महीने से अधिक से किया जा रहा है। नियमों के तहत अभियोजन की अनुमति का फैसला चार महीने में होना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि सिर्फ बैंक ही नहीं, अन्य सरकारी विभाग भी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देने मेंं विलंब कर रहे हैं।

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आठ सरकारी अधिकारियों से संबंधित कम से कम छह मामले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास लंबित हैं। यह भ्रष्टाचार निरोधक उपायों का नोडल प्राधिकरण है। इनमें से ज्यादातर अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से हैं। इसके अलावा चार मामलों में रेल मंत्रालय, तीन में रक्षा मंत्रालय, दो-दो स्वास्थ्य एवं इस्पात मंत्रालय, एक-एक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) तथा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से संबंधित हैं।