वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) अधिकारियों को आश्वस्त किया कि नई जीएसटी व्यवस्था में अप्रत्यक्ष कर विभाग के कार्यबल में कोई कटौती नहीं होगी और उनके विचारों को लेने के बाद ही मानव संसाधन नीति तैयार की जाएगी। पिछले सप्ताह मंत्रालय के साथ बैठक में केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों ने नई व्यवस्था के साथ प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा उत्पाद शुल्क एवं सेवा करदाताओं को राज्यों को सौंपे जाने बारे में अपनी चिंता जतायी। उनका कहना था कि इससे कार्यबल अधिशेष होगा। ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ सेंट्रल एक्साइस गजेटेड एक्जक्यूटिव ऑफिसर्स के महासचिव रवि मलिक ने कहा, ‘हमने नई व्यवस्था में अधिशेष कार्यबल और मानव संसाधन नीति के संदर्भ में चिंता जतायी। बोर्ड ने हमें आश्वस्त किया है कि कार्यबल में कोई कटौती नहीं होगी। साथ ही उन्होंने हमसे मानव संसाधन पर अपनी राय देने को कहा है जिसे नीति बनाने समय ध्यान में रखा जाएगा।’

एसोसिएशन ने 14 अक्तूबर को इस संदर्भ में धरना की योजना बनायी थी लेकिन बोर्ड से मिले आश्वासन के बाद योजना स्थगित कर दी गयी। मलिक ने कहा, ‘हमने मांग की है कि 11 लाख सेवा करदाता फिलहाल केंद्र के दायरे में है। जीएसटी व्यवस्था में यह स्थिति बनी रहनी चाहिए। बोर्ड ने यह भी कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा और हम उसके बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे।’ सरकार ने एक अप्रैल 2017 से वस्तु एवं सेवा कर लागू करने की योजना बनायी है। जीएसटी उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा अन्य स्थानीय करों का स्थान लेगा।