वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच चुकी हैं और इसे ठीक करने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा एनपीए इस समय जिस स्तर पर है वह अस्वीकार्य है।

एनपीए के इस स्तर पर पहुंचने की वजह आंशिक तौर पर असावधानी बरतने, आंशिक तौर पर निष्क्रियता और अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में उपजी चुनौतियों का होना है। अर्थव्यवस्था के इन क्षेत्रों में बैंकों के उंचे एनपीए से यह स्पष्ट है।

जेटली यहां इंडियन बैंक के स्थापना दिवस के मौके पर 109 नई शाखाओं और 109 एकमुश्त नोट स्वीकार (बीएनए) मशीनों के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारी डूबते ऋण के बोझ से दबे हुए हैं। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष तक उनकी सकल गैर निष्पादित आस्तियां 2.67 लाख करोड़ रुपये थीं। यह पूरे बैंकिंग उद्योग के 3.09 लाख करोड़ रुपये का 86 प्रतिशत बैठता है।

उन्होंने भरोसा जताया कि बैंक अगली कुछ तिमाहियों में इन चुनौतियों को हल करने में कामयाब रहेंगे। जेटली ने कहा कि एनपीए को नीचे लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा वित्तीय स्थिति ठीक करने और एनपीए घटाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।

बैंक प्रशासन कोशिश कर रहा है, सरकार और पूंजी डालने की कोशिश कर रही है, सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश के जरिये और धन जुटाने की कोशिश हो रही है। फिर ज्यादा सावधानी और विभिन्न दबाव वाले क्षेत्रों की मुश्किलों को दूर करने करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा मुझे इसमें संदेह नहीं है अगली कुछ तिमाहियों में बैंक ऐसी चुनौतियों से निपटने में कामयाब होंगे।