अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों, घरेलू वृहद आंकड़ों तथा वैश्विक बाजार के रुख से इस सप्ताह यहां शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। फेडरल रिजर्व की दो दिन की बैठक 13 दिसंबर को शुरू होगी और इस पर दुनियाभर की निगाह है। फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत रुख को कड़ा किए जाने की चर्चा से भारत सहित अन्य उभरते बाजारों में चिंता है। इससे पूंजी का प्रवाह अमेरिका बाजार की ओर होगा। आम्रपाली आद्या ट्रेडिंग एंड इन्वेस्टमेंट्स के निदेशक एवं शोध प्रमुख अबनीश कुमार सुधांशु ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बाजार पहले ही चौथाई फीसद वृद्धि के लिए तैयार हो चुका है। चूंकि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह भारत सहित अन्य उभरते देशों के लिए पूंजी का प्रमुख स्रोत है, ऐसे में इससे आगे कोई कदम बिकवाली दबाव पैदा कर सकता है।’ इसके अलावा वैश्विक बाजार के रुख तथा विदेशी तथा घरेलू संस्थागत निवेशकों की गतिविधियों से यहां धारणा तय होगी। घरेलू मोर्चे पर सरकार नवंबर महीने के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े मंगलवार को जारी करेगी।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े बुधवार को जारी होंगे। कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित गाडिया ने कहा, ‘इस सप्ताह की शुरुआत में शेयर औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देंगे। यह आंकड़े शुक्रवार (9 दिसंबर) को जारी किए गए हैं। मुद्रास्फीति बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगी।’ उन्होंने कहा कि हमारा मध्यम अवधि का परिदृश्य सकारात्मक है। बाजार के खिलाड़ियों की निगाह संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र की गतिविधियों पर भी रहेगी। ट्रेड स्मार्ट ऑनलाइन के संस्थापक निदेशक विजय सिंघानिया ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के शेयर आकर्षण का केंद्र रहेंगे क्योंकि माह के मध्य में ईंधन कीमतों में संशोधन होना है।’ बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 516.52 अंक या 1.96 प्रतिशत चढ़ा, जबकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज के निफ्टी में 174.95 अंक या 2.16 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

