Nirmala Sitharaman EPFO Pension: श्रमिक संगठनों की ओर से वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के लिए कई अहम मांगें उठाई गई हैं। श्रमिक संगठनों ने ईपीएफओ के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को 5 गुना करने, आठवें वेतन आयोग का तत्काल गठन करने और ज्यादा अमीर लोगों (सुपर रिच) पर अधिक कर लगाने की मांग की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट से पहले हुई बैठक में श्रमिक संगठनों के नेताओं ने आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये सालाना करने, अस्थायी कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना लागू करने और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की भी मांग उठाई है।

निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने जा रही हैं। इसे लेकर वह अलग-अलग क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बजट से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातचीत कर रही हैं।

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ट्रेड यूनियन को-आर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) के राष्ट्रीय महासचिव एसपी तिवारी ने वित्त मंत्री के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की पहल को रोकना चाहिए और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि जुटाने के लिए ऐसे लोग जो ज्यादा अमीर हैं, उन पर अतिरिक्त 2% का कर लगाना चाहिए।

तिवारी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा दिए जाने और उनकी न्यूनतम मजदूरी तय किए जाने की मांग को भी वित्त मंत्री के सामने रखा गया।

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भारतीय मजदूर संघ के संगठन सचिव (उत्तरी क्षेत्र) पवन कुमार ने कहा कि कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) के तहत दी जाने वाली न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये प्रति माह से बढ़कर 5000 रुपये किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग उठाई कि इसमें Variable Dearness Allowance (VDA) को भी जोड़ा जाना चाहिए।

कर्मचारी नेता पवन कुमार ने सुझाव दिया कि आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपए किया जाना चाहिए। पेंशन से होने वाली आय को टैक्स से मुक्त किए जाने की मांग भी सरकार के सामने रखी गई है। कर्मचारी नेता ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे को संशोधित किया जाना जरूरी है और इसके लिए आठवें वेतन आयोग का तत्काल गठन सरकार को करना चाहिए।

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भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय ने श्रमिक संगठनों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग के गठन को फरवरी 2014 में 10 साल से अधिक हो चुके हैं, इसलिए आठवें वेतन आयोग का गठन आवश्यक है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में स्थायी कर्मचारियों की घटती संख्या पर गंभीर चिंता जताई।

देव रॉय ने बताया कि 1980 के दशक में इन उपक्रमों में 21 लाख स्थायी कर्मचारी थे, जबकि 2023-24 तक यह संख्या घटकर मात्र आठ लाख से थोड़ी अधिक रह गई है। नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (एनएफआईटीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक जायसवाल ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लिए अलग बजट आवंटन की मांग की।

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