EPFO EPF interest: Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) के पास क्या इतना पैसा है कि वो 2018-19 वित्त वर्ष में 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज दे सके? फाइनेंस कंपनी IL&FS और उसी तरह के अन्य जोखिम भरे निवेशों पर सवाल उठाते हुए वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से जवाब मांगा है। वित्त मंत्रालय ने पूछा है कि क्या ईपीएफओ के पास पर्याप्त सरप्लस रकम है, जिससे पिछले वित्त वर्ष के लिए तय ब्याज दर से भुगतान किया जा सके। खास तौर पर तब विभिन्न वित्तीय कंपनियों में किए गए कुछ निवेश में नुकसान पहुंचने की आशंका हो।

बीते हफ्ते लेबर सेक्रेटरी को भेजे गए एक आधिकारिक संदेश में वित्त मंत्रालय ने जवाब मांगा है। वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ के फंड पर IL&FS और दूसरे जोखिम भरे निवेश कंपनियों के असर के बारे में जानकारी मांगी गई है। एक अधिकारी के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। दोनों मंत्रालयों के बीच कई दौर की बातचीत चलने के बाद लेबर सेक्रेटरी को यह आधिकारिक संदेश भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक, श्रम मंत्रालय से यह भी पूछा गया है कि क्या उसके पास पर्याप्त सरप्लस रकम है, जिसे अगले वित्त वर्ष के लिए इस्तेमाल किया जा सके। अधिकारी ने बताया, ‘किसी घाटे की स्थिति में ईपीएफओ ग्राहकों को भुगतान की जिम्मेदारी सरकार पर होगी। यही वजह है कि ईपीएफओ फंड्स के बारे में विशेष सावधानी बरती जा रही है।’

हालांकि, ईपीएफओ के एक अधिकारी के कहना है, ‘हमारी सारी कैलकुलेशन सही है। हम बीते 20 साल या उससे ज्यादा वक्त से यह काम कर रहे हैं। हम जिसे मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना करते हैं, वो नया नहीं है। वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं। हम उनका जवाब दे रहे हैं।’ IL&FS में निवेश के असर के बारे में पूछे जाने पर ईपीएफओ अधिकारी ने कहा कि हमसे पूछा गया है कि कैसे मैनेज करेंगे अगर वहां लगा पैसा डूब गया? अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि अभी तक कुछ ऐसा नहीं हुआ है।’

बता दें कि फरवरी महीने में श्रम विभाग की सिटिंग कमिटी की 57वीं रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे IL&FS में ईपीएफओ का निवेश 574.73 करोड़ रुपये है। वहीं, ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने फरवरी में सिफारिश की थी कि EPFO के करीब 6 करोड़ सक्रिय ग्राहकों को 2018-19 वित्त वर्ष में 8.65 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज मिलेगा। इसके पिछले वित्त वर्ष में ब्याज की दर 8.55 प्रतिशत थी, जो पांच वर्षों में सबसे कम थी।