Investment for Tax Saving : अगर आप निवेश करते हैं तो आपके मन में क्या बात रहती हैं. क्या आप सिर्फ रिटर्न के बारे में सोचते हैं या टैक्स जैसे दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं. समझदारी इस बात में हैं कि बेहतर रिटर्न के साथ टैक्‍स बचाने का भी विकल्‍प मिल जाए. अपनी पूंजी पर बेहतर रिटर्न के साथ ही साथ अगर टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) भी मिल जाए, तो किसी भी इनकम टैक्सपेयर्स के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है.

ELSS vs FD

बात अगर टैक्‍स सेविंग की आती है तो फिक्‍स्‍ड इनकम चाहने वालों के लिए 5 साल की टैक्‍स सेवर एफडी (Fixed DEposit) ज्‍यादा पॉपुलर विकल्‍प है. वहीं अगर कुछ रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) काफी लोकप्रिय हैं. दोनों विकल्पों में इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80सी के तहत आप 1.50 रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. एफडी और ईएलएसएस ये दोनों एक दम अलग तरह के निवेश विकल्‍प हैं. सवाल उठता है कि कहां ज्‍यादा फायदा मिलेगा.

ELSS यानी इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम एक तरह का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से इक्विटी या इक्विटी ओरिएंटेड प्रोडक्‍ट्स में निवेश करता है. जबकि FD निवेश का एक ट्रेडिशनल विकल्‍प है, जिसे आप किसी भी बैंक में एकमुश्त राशि के रूप में जमा कर सकते हैं.

मल्टी एसेट अलोकेशन फंड: SIP करने पर 5 साल में 19-33% सालाना रिटर्न, कम रिस्‍क में ज्‍यादा फायदे वाली स्‍कीम

कहां बेहतर रिटर्न

ELSS में रिटर्न तय नहीं किया जा सकता है और यह बाजार के जोखिम के अधीन है. हालांकि, कई स्‍कीम ने पिछले 5 साल में 15%-16% सालाना रिटर्न दिया है. FD पर संबंधित बैंक ब्याज दर तय करता है. 5 साल की स्‍कीम पर मौजूदा समय में अलग लग बैंक 6.5% से 8% तक ब्‍याज दे रहे हैं. लेकिन यहां यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि ELSS में लंबी अवधि के दौरान किया गया निवेश आमतौर पर एफडर की तुलना में हाई रिटर्न दिलाता है.

लॉक इन पीरियड

ELSS में 3 साल का लॉक-इन जरूरी है. कुछ स्‍कीम में इससे भी ज्‍यादा अवधि के लिए लॉन इन होता है. टैक्‍स सेवर FD में 5 साल का लॉक-इन होता है, हालांकि इसमें भी एक्‍सटेंड करने की सुविधा है. ELSS में जरूरी नहीं है कि 3 साल के लॉक इन के बाद पैसा निकाल लें, उसे आगे एक्सटेंड कर सकते हैं.

डेट फंड में SIP करें या 5 साल की FD, किस विकल्‍प में है महंगाई को मात देने की क्षमता

रिस्क फैक्टर

ELSS में इक्विटी ओरिएंटेड होने के चलते बाजार का जोखिम होता है. असल में इन योजनाओं में आपका पैसा इक्विटी में लगाया जाता है, इसलिए बाजार के उतार चढ़ाव का असर इनपर होता है. बाजार के बढ़ने की स्थिति में इनका प्रदर्शन बहुत अच्छा हो सगकता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट एक सुरक्षित निवेश का विकल्‍प होता है. तय ब्‍याज पर रिटर्न मिलता है. बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा पूरी तरह से सुरक्षित होती है. वैसे भी बैंक में पैसा डूबने का डर ना के बराबर होता है.

लिक्विडिटी कहां आसान

लिक्विडिटी बात करें तो आप 3 साल बाद ELSS से पैसा निकाल सकते हैं. आप 5 साल से पहले टैक्स सेविंग FD से पैसा नहीं निकाल सकते. ऐसा करने पर पेनल्‍टी लगती है. इस लिहाज से आप ईएलएसएस में बेहतर लिक्विडिटी हासिल कर सकते हैं.

ELSS: 5 साल में बेस्‍ट रिटर्न वाले फंड

क्‍वांट ईएलएसएस टैक्‍स सेवर फंड: 35.50%
बैंक ऑफ इंडिया ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड: 28%
SBI लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड: 24%
मोतीलाल ओसवाल ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड: 23.50%
जेएम ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड: 23%
बंधन ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड: 22.50%
डीएसपी ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड: 22%
मिरे एसेट टैक्‍स सेवर फंड: 22%

Power of Compounding: निवेश में हर एक साल की देरी घटाती है कंपाउंडिंग की ताकत, रिटर्न में लाखों का आएगा अंतर

5 साल की टैक्स सेवर FD में रिटर्न

पोस्‍ट ऑफिस TD: 7.50%
एसबीआई: 6.50%
बैंक ऑफ बड़ौदा: 6.50%
केनरा बैंक: 6.70%
पंजाब नेशनल बैंक: 6.50%
HDFC बैंक: 7.00%
ICICI बैंक: 7.00%
इंडसइंड बैंक: 7.25%
Axis बैंक: 7.00%
कोटक महिंद्रा बैंक: 6.20%
YES बैंक: 7.25%
फेडरल बैंक: 6.60%
IDFC फर्स्ट बैंक: 7.00%

(नोट: सीनियर सिटीजंस को 50 बेसिस प्वॉइंट ब्याज ज्यादा मिलेगा. यानी अधिकतम एफडी रेट 9 फीसदी तक पहुंच जाएगा.)

(source: bank websites)