Dividend Yield Funds : what is special about them : डिविडेंड यील्ड फंड्स यूं तो परिभाषा के हिसाब से इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की श्रेणी में ही आते हैं, लेकिन इनकी एक खूबी ऐसी है, जो इन्हें बेहद खास बना देती है. डिविडेंड यील्ड फंड्स के नाम से ही जाहिर है कि इन स्कीम के माध्यम से सिर्फ उन्हीं कंपनियों में निवेश किया जाता है, जिन्होंने लगातार कई वर्षों तक अच्छा लाभांश यानी डिविडेंड दिया हो. और लगातार अच्छा डिविडेंड वहीं कंपनी दे सकती है, जिसका कारोबार मुनाफे में चल रहा हो. इस क्राइटेरिया की वजह से ही डिविडेंड यील्ड म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में आपको अच्छा वित्तीय प्रदर्शन करने वाली मजबूत कंपनियां मिलेंगी. इक्विटी फंड की कैटगरी में आने की वजह से सेबी की गाइडलाइन के मुताबिक इनका कम से कम 65 फीसदी इनवेस्टमेंट इक्विटी और उससे जुड़े एसेट्स में किया जाता है ओर कई टैक्स बेनिफिट भी मिलते हैं, जिनके बारे में हम आगे जानेंगे. पहले नजर डालते हैं रिटर्न के लिहाज से कुछ टॉप डिविडेंड यील्ड फंड्स के पिछले 3 और 5 साल के प्रदर्शन पर:
टॉप 6 डिविडेंड यील्ड फंड्स का प्रदर्शन
देश के कुछ टॉप डिविडेंड यील्ड फंड्स का पिछले 3 साल का औसत सालाना रिटर्न करीब 24 से 32 प्रतिशत के आसपास रहा है. वहीं, 5 साल में यह रिटर्न करीब 20 से 25 फीसदी के दायरे में नजर आता है. यहां हम टॉप 5 डिविडेंड यील्ड फंड्स के डायरेक्ट प्लान के पिछले 3 और 5 साल के एवरेज एनुअल रिटर्न के आंकड़े दे रहे हैं. डायरेक्ट प्लान का रिटर्न कम एक्सपेंस के कारण रेगुलर प्लान से कुछ ज्यादा रहता है.
1. ICICI Prudential Dividend Yield Equity Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 32.52%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 24.78%
2. Templeton India Equity Income Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 26.40%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 24.45%
3. Aditya Birla Sun Life Dividend Yield Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 26.32%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 23.10%
4. LIC MF Dividend Yield Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 24.56%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 23.38%
5. Sundaram Dividend Yield Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 22.21%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 20.84%
6. UTI Dividend Yield Fund
3 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 20.97%
5 साल का औसत सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 20.08%
(Source : AMFI, 16 मई 2024 तक के आंकड़े)
डिविडेंड यील्ड फंड : टैक्स से जुड़े नियम
इनकम टैक्स के लिहाज से इक्विटी फंड की श्रेणी में आने की वजह से डिविडेंड यील्ड फंड में निवेश पर वे सारे फायदे मिलते हैं, जो किसी इक्विटी फंड में इनवेस्ट करने पर मिलते हैं. उदाहरण के तौर पर हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, बशर्ते निवेश को कम से कम 3 साल तक होल्ड किया जाए. इतने वक्त तक रखने के बाद अगर आप फंड से पैसे निकालते हैं, तो एक कारोबारी साल में 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. एक साल में इससे ज्यादा लाभ होने पर 10 परसेंट के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स भरना होता है. लेकिन स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स तब भी नहीं भरना पड़ता. 3 साल से पहले पैसे निकालने पर 15 प्रतिशत के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है.
किनके लिए बेहतर हैं डिविडेंड यील्ड फंड
मजबूत और प्रॉफिटेबल कंपनियों के पैसे लगाने की वजह से डिविडेंड यील्ड फंड को कम जोखिम वाला माना जाता है. इसलिए ये फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं, जो इक्विटी में निवेश करके लाभ कमाना चाहते हैं, लेकिन कमजोर कंपनियों या स्टार्टअप में निवेश करके ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते. इन फंड्स में इनकम जेनरेशन और रिस्क मैनेजमेंट के बीच संतुलन पर भी काफी जोर दिया जाता है. इसलिए अगर आप निवेश के जरिये नियमित आय पाना चाहते हैं, तो ये स्कीम अच्छा ऑप्शन साबित हो सकती है.
इक्विटी में निवेश का रिस्क
इक्विटी फंड होने की वजह से डिविडेंड यील्ड फंड के कॉर्पस का मिनिमम 65 परसेंट हिस्सा इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. इक्विटी में निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ावों का असर तोड़ पड़ता ही है, इसलिए डिविडेंड यील्ड फंड में पैसे लगाने का फैसला करने से पहले अपने रिस्क प्रोफाइल यानी जोखिम उठाने की क्षमता का अंदाजा अच्छी तरह से लगा लें. ऊपर जिन स्कीमों के पिछले प्रदर्शन की जानकारी दी गई है, उसे उनके भविष्य के परफॉर्मेंस की गारंटी नहीं माना जा सकता. इसलिए अपने लिए सही स्कीम का चुनाव करने से पहले सभी पहलुओं को ठीक से समझ लें और अपने निवेश सलाहकार से राय-मशविरा करने के बाद ही निवेश के बारे में कोई फैसला करें.