8 नवंबर को लिए गए 1000 और 500 रुपए के पुराने नोट बंद करने के फैसले के बाद देश की चार सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस में नए नोटों की छपाई का काम जोरों पर चल रहा है। हालांकि देश में पैसों की किल्लत अभी भी जारी है। इसके लिए सरकार विदेश से करेंसी पेपर आयात करने के लिए अगले हफ्ते बड़े स्तर का टेंडर जारी कर सकती है। इस संबंध में शनिवार को वित्त सचिव शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में वित्त मंत्रालय की एक बैठक हुई थी। बैठक के बाद अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 20 हजार टन करेंसी पेपर आयात का आर्डर दिया जा सकता है। यह वर्तमान वर्ष के करीब 8 हजार टन के आयात से कहीं ज्यादा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह एक बड़ा आयात ऑर्डर होगा, जिससे एक साल से भी ज्यादा का प्रिंटिंग की जा सकेगी। हालांकि यह करेंसी पेपर का अब तक का सबसे बड़ा आयात ऑर्डर नहीं है। पहले हम पूरी तरह से विदेशी पेपर पर निर्भर थे, लेकिन अब हम खुद का करेंसी पेपर भी बनाते हैं।” अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से प्रतिवर्ष 25 हजार टन के लगभग करेंसी पेपर की खपत हो रही है, जिसमें से करीब 18 हजार टन पेपर का निर्माण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की प्रेस में किया जाता है।
अगर पैसों की प्रिटिंग नॉर्मल स्पीड से चल रही होती तो मार्च-2017 तक का स्टॉक फिलहाल उपलब्ध है, लेकिन पुराने नोटों की जगह चल रही नए नोटों की प्रिटिंग की वजह से बैंक नोट पेपर को इपोर्ट किए जाने का फैसला लिया गया। वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि यह ऑर्डर करीब नो विदेशी कंपनियों को दिया जा सकता है। इन कंपनियों को गृह मंत्रालय की ओर से सुरक्षा मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से 6 कंपनियां ऐसी हैं जो वर्तमान में भी भारत को करेंसी पेपर सप्लाई करती हैं, वहीं 3 कंपनियों पहली बार लिमिटेड टेंडरिंग प्रोसेस से गुजर रही हैं।